बंद ,भारत है आजकल ..........23-03-2020
जो दिखती नहीं चमन में,
सदाकत है आजकल. (सच्चाई)
गली-गली चौराहों पर दिखती,
क़यामत है आजकल.
कुर्सी की खातिर सिद्ध करना पडे,
बहुमत है आजकल.
पद, प्रतिष्ठा,पॉवर,पैसा ना मिले,
बगावत है आजकल .
दल बदले मौसम का रुख देख,
सियासत है आजकल.
जिसके आगे दम तोड़े सत्य,न्याय,
ताकत है आजकल.
फांसी का डर हैवानो में! कुछ कम ,
वहशत है आजकल .
कोरोना क्या आया ? हर तरफ ,
दहशत है आजकल.
अपने अपने घर में कैद मोहतरमा ,
हजरत है आजकल .
घंटी-घंटा, थाली- प्याली खूब बजाओं ,
तिजारत है आजकल .(रोजगार)
देश सब के दिल में, सांप सभी बिल में,
राहत है आजकल
मरने से डर सबको लगता , जीने की ,
चाहत है आजकल.
प्यार मोहब्बत,हास्य लिख नहीं पाता ,
लानत हैआजकल
धीरे-धीरे छुटेगी ,सच बोलने की जो,
आदत है आजकल .
चलो में भी चुप करता हूँ ,अभी बंद ,
भारत है आजकल .
कुमार महेश
(व्यथित मन का सृजन)
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