बच्चों अगर ठान लो मन में ,
नहीं असंभव कोई काम ।
अपनी मदद स्वयं जो करता ,
मदद उसी की करते राम।
अपनी मंज़िल पाने की ,
अगर तुम्हें है ,सच्ची चाह।
मुश्किलें हो कितनी भी ,
मिल ही जाएगी कोई राह।
जो धुन के पक्के होते ,
चलते चले जो अविराम।
चाहे गर्मी हो ,चाहे हो सर्दी ,
चलते रहते सुबहों शाम।
कांटे पैरों में चुबते ,
लबों से जो उफ़ ना करते।
मंज़िल मिलने तक ,
परिश्रम से जो ना डरते।
अपने मात -पिता का ,
और देश का करते हैं नाम।
सारी दुनियाँ भी इनको ,
करती सदा सलाम।
------------कुमार महेश---------------→
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