छलें गये हम ,नारों में,
खड़ें है अब ,लाचारों में,
नेक मिले एक, हजारों में ,
झूठे,बेईमान दो चारों में,
कांटें ही मिले ,बहारों में,
धोखे ही मिले , हजारों में
छलें गये हम ,नारों में,
खड़ें है अब ,बीमारों में,
शासन है ,मक्कारों में ,
जनता है .अंगारों में,
मंदी है ,व्यापारों में,
रोनक कहाँ ?बाजारों में
छलें गये हम ,नारों में,
बुरें फंसे ,सेवादारों में
पत्रकार है ,अय्यारों में
हिंदू-मुस्लिम, अखबारों में,
चुप्पी है ,फनकारों में
सब उलझे ,तकरारों में
छलें गये हम ,नारों में,
दीमक लगी ,दीवारों में
सजा कहाँ ?बलात्कारों में,
लिप्त भेडिये ,व्यभिचारों में,
दंगे शिक्षाई ,गलियारों में
सत्याग्राही खड़े ,लाचारों में
छलें गये हम नारों में,
बुरें फंसे ,होशियारो में
अर्थव्यवस्था खड़ी बीमारों में
पकोड़े तले ,हज़ारों में,
पर खोफ नहीं, सरकारों,
रेवडिया बंट रही ,चाटुकारों,
छलें गये हम ,नारों में,
केसे रहे ,एतबारों में
देश घिरा है ,अन्धकारों में,
मायूसी है, बेरोजगारों में,
खामोशी है ,वफादारों में,
केसे खुश हों ?एतबारों में,
छलें गये हम ,नारों में,
सच वालें है ,गद्दारों में
पतन हो रहा ,संस्कारों में,
बची वतनपरस्ती,हत्यारों में,
क्या है कर्तव्य,दम है अधिकारों में,
केसे महफूज देश,संविधान पर प्रहारों में,
छलें गये हम ,नारों में,
खड़ें है अब ,बेचारों में,
जंग लगी है, तलवारों में,
खामोशी है ,समझदारों में,
सुखी स्याही ,कलमकारों में,
अजब चाटुकारिता ,चटकारों में,
छलें गये हम ,नारों में,
गिनती है ,अब बेकारो में
बैंठे उल्लू ,सब डारों में
भगोड़े है ,सब यारों में
अंधभक्त है ,प्यारों में ,
हम नामित है,गद्दारों में
छलें गये हम ,नारों में,
बचे है अब ,नाकारों में
रोते रहेगें , ऐसे ही, देश के गलियारों में
जियो भाई जियो , जेसे मर्जी किरदारों में
छलें गये हम नारों में,
-----------------------------कुमार महेश
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