चक्रव्यूह को तोड़ कर तो देख
अपने दिल को भी कभी झिझोड़ कर तो देख।
गरीबों की विपदा से नाता जोड कर तो देख।।
पटरियों पर ढूँढती है,बूढी आँखे अपना सहारा,
अश्रु भीगा आँचल उनका निचोड कर तो देख।
चिलचिलाती धूप में जो चल रहे हैं हर सडक,
दुआ मिलेगी उनको भी घर छोड़ कर तो देख।
उन पर कभी हुई नहीं तेरी राहतों की बारिश,
कभी निगाहे उनकी तरफ मोड कर तो देख।
ये तख्तो-ताज ये शानो-शौकत हवा हो जाएंगे,
टूटी-फुटी तकदीर को और फोड कर तो देख।
0 comments:
Post a Comment