Nothing
is good or Nothing is bad but thinking makes it so.
आज शेक्सपियर के इस कथन पर विचार करने की महत्ती आवश्यकता है हम अपने आधे से अधिक समय को तो दूसरो के गुणों और अवगुणों की समीक्षा में ही व्यर्थ कर देते है जबकि स्वयं अपने ही अन्दर झांकने का साहस नहीं जुटा पाते।और अन्ततः असफलता को अंगीकार करना पडता है।
वृक्ष की टहनियां ,पत्तें और आसमान को देख सकना तो नितान्त ही साधारण सी बात है, किन्तु अर्जुन वहीं बनता है जिसका ध्यान मात्र चिडिया की आंख पर ही केन्द्रीभूत हो। उचित संधान के पश्चात् तो लक्ष्य की प्राप्ति अत्यन्त सुलभ हो जाती है। और फिर बुलंद इरादों के पंख हो तो आसमान की कोई उडान नामुमकिन नहीं है।
हमें अनुभव करना होगा कि-
चित्रलेखा सा अर्न्तमन सुप्त है ,पर लुप्त नहीं
रक्तदीप जलता सदैव है प्रत्यक्ष नहीं हो गुप्त सही।
मन को उदास मत रखना
किसी सपने को खास मत रखना,
कल्पना में निवास मत रखना।
जहां पर हो एक भी चिन्गारी,
भूलकर भी कपास मत रखना।।
जो बने आपकी सफलता में बाधक ,
ऐसे लोगों को पास मत रखना।
लेकिन मेहनत के बिना यारों ,
सफलता की आस मत रखना।
देखकर चन्द गिरते लोगों को,
अपने मन को उदास मत रखना।
आपको रखना है अगर सिर ऊँचा,
खुद को व्यसनों का दास मत रखना।
अगर लगे सब झूठ है साथी,
उस बात पर विश्वास मत रखना।
पानी है यदि मंजिल ,
तो सदैव उत्साह रखों,
निराशा पास मत रखना।
☺ कुमार महेश (11-05-2020) ☺
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