TEACHING & WRITING BY MK

इस ब्लॉग पर मेरी विभिन्न विषयों पर लिखी गई कविता, कहानी, आलेख और शिक्षण सामग्री का प्रकाशन किया जाता है.

किसे इल्जाम दे..............


किसे इल्जाम दे..............

मुद्दत से रहे हैं जुल्म,घुटन और डर, किसे इल्जाम दे। 
शोषण उत्पीडन अब हो रहे घर घर, किसे इल्जाम दे।। 

दलित को जब भी मारा पीटा ,दलित सब खामोश रहे, 
हम सबने भी अपनी फेर ली नजर, किसे इल्जाम दे। 

हम भी शिकार हो सकते हैं कभी,इस जुल्मोसितम के, 
हमने कभी भी कसी ही नहीं कमर ,किसे इल्जाम दे। 

जख्मी होकर,अश्क बहाकर,बेगैरत व बेशर्मी से जी रहे, 
कभी ज़ुल्मी पे फेंका ही नहीं पत्थर, किसे इल्जाम दे। 

हर अपमान पर हम खुदगर्ज बन कर, बैठे ही रह गये, 
कभी मुकाबला किया ही नहीं डटकर, किसे इल्जाम दे।

सदियों से वर्ण व्यवस्था के कुचक्र में दलन होता ही रहा, 
संगठित होते ही नहीं, रहे सदा बटकर,किसे इल्जाम दे। 

गर इसी तरह खामोश रहे तो, एक दिन मिट जाओगे ,
रह जाएगा इतिहास तुम्हारा सिमटकर, किसे इल्जाम दे। 

इस बेरहम वक्त में अंधे बने हुए हैं, इंसाफ के देवता,
अब आता नहीं मसीहा कोई चलकर ,किसे इल्जाम दे। 

*शिक्षा ,संघर्ष और संगठन * की ताकत गर नहीं समझे,
हमेशा ऐसे ही होते रहेंगे  दरबदर ,किसे इल्जाम दे। 
कुमार महेश (18-05-20) 
(व्यथित मन का सजृन) 
Dalit exploitation,human beating
dalit exploitation


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कुमार MAHESH

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