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इस ब्लॉग पर मेरी विभिन्न विषयों पर लिखी गई कविता, कहानी, आलेख और शिक्षण सामग्री का प्रकाशन किया जाता है.

HINDI-GRAMMER PAD-BHED


हिंदी-व्याकरण
हिंदी-व्याकरण 
पद परिचय : मा.शि.बो.राज.अजमेर के नवीन पाठ्यक्रम आधारित पठनीय एवं अभ्यास कार्य हेतु महत्वपूर्ण सामग्री -

पहले पढ़े, अपनी उत्तर पुस्तिका में नोट्स लिखें  और फिर प्रश्नोत्तरी हल करें . 

महेश कुमार बैरवा ,"व्याख्याता" 

रा.उ.मा.वि.डीडवाना ,दौसा 

पद-भेद

पद= शब्द का वाक्य में प्रयुक्त रूप पद कहलाता है। विचार व्यक्त करने के लिए अथवा आपस में बात करने के लिए 'शब्दों की आवश्यकता होती है। ध्वनियों का स्वतंत्र रूप से कोई अर्थ नहीं होता है। जब दो या दो से अधिक वर्ण आपस में मिलकर सार्थक शब्द बनाते हैं, तब उनका महत्त्व होता है,

जैसे-   क् + अ + ल् + अ = कल

क् + अ + म् + अ + ल् + अ = कमल

र् + आ + क् + ए + श् + अ = राकेश

न् + अ + द् + ई = नदी

उपर्युक्त शब्द स्वर एवं व्यंजन वर्गों के मेल से बने हैं। ये शब्द स्वतंत्र रूप से अपना-अपना अर्थ रखते हैं। यही शब्द जब वाक्य में प्रयुक्त होते हैं तो वे 'पद' कहलाते हैं।

वाक्य-प्रयोग की दृष्टि से सार्थक शब्द या पद ही महत्त्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि यह भाषा के प्राण हैं और व्याकरण में इन्हीं का विवेचन किया जाता है।

ये तीन प्रकार के होते है।

(क) वाचक-लोक-व्यवहार, व्याकरण, कोश आदि के आधार पर मुख्य अर्थ के लिए प्रयुक्त होने वाला पद 'वाचक' कहलाता है।

(ख) लक्षक-प्रसिद्ध अर्थ के अतिरिक्त उससे सम्बन्धित अन्य अर्थ प्रकट करने वाला शब्द या पद लक्षक' कहलाता है।

(ग) व्यंजक-जब किसी पद से वाच्यार्थ और लक्ष्यार्थ से भिन्न कोई अन्य अर्थ व्यंग्य रूप में व्यक्त होता है, तो उस पद को 'व्यंजक' कहते हैं।

सामान्य रूप से शब्द या पद दो प्रकार के होते हैं –

(1) सार्थक शब्द (2) निरर्थक शब्द ।

(1) सार्थक शब्द-जिन शब्दों का कुछ निश्चित अर्थ होता है, वे सार्थक शब्द कहलाते हैं, जैसे- नदी, लड़का आदि। भाषा के अन्तर्गत सार्थक शब्दों का ही अध्ययन किया जाता है।

(2) निरर्थक शब्द-जिन शब्दों का कोई निश्चित अर्थ नहीं होता, वे निरर्थक शब्द कहलाते हैं। निरर्थक शब्दों का प्रयोग प्रायः बोल-चाल की भाषा में किया जाता है, जैसे- बोल-चाल, चाय-वाय आदि में 'चाल' तथा 'वाय' निरर्थक शब्द हैं ।

पदों के भेद

 रूप परिवर्तन अथवा प्रयोग के आधार पर शब्द के मुख्यत: दो भेद होते हैं


पद-भेद,पदबन्ध,पद-परिचय

10 विकारी शब्द-जिन शब्दों में प्रयोगानुसार कुछ परिवर्तन उत्पन्न होताहै,वे 'विकारी शब्द' कहलाते हैं। जैसे - बुढ़ापा, सोना, बुरा, जागना, दौड़ना, तू, मैं आदि विकारी शब्द है। इसके मुख्यतः चार भेद है

(i) संज्ञा (ii) सर्वनाम (iii) विशेषण (iv) क्रिया

(2) अविकारी शब्द-जो शब्द प्रयोगानुसार परिवर्तित नहीं होते, वे शब्द 'अविकारी' शब्द कहलाते हैं। , जैसे- धीरे-धीरे, तथा, अथवा, और, किन्तु, वाह! अच्छा! आदि अविकारी शब्दों के मुख्यतः चार भेद होते हैं

(i) क्रिया विशेषण (ii) समुच्च्यय बोधक (iii) संबंध बोधक (iv) विस्मयादिक बोधक

[I] संज्ञा

'संज्ञा' उस विकारी शब्द को कहते हैं, जिससे किसी विशेष वस्तु, भाव और जीव के नाम का बोध हो।

निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित शब्दों पर ध्यान दें

(1) राम अयोध्या के राजा थे।

(2) मोहन विद्यालय में पढ़ता है।

(3) हिमालय एक ऊँचा पर्वत है।

(4) मीरा को नदी में गन्दगी देखकर क्रोध आ गया।

इन रेखांकित शब्दों से किसी व्यक्ति, वस्तु, भाव आदि का बोध होता है। ऐसे शब्दों को संज्ञा कहते हैं।

परिभाषा-किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, भाव, गुण, व्यापार इत्यादि के नाम को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा के भेद-संज्ञा तीन प्रकार की होती है

[1] व्यक्तिवाचक संज्ञा

जिस शब्द से किसी एक ही व्यक्ति, स्थान अथवा वस्तु का बोध हो, वह व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाता है। जैसे- राम, कृष्ण, मथुरा, जयपुर, हिमालय, गंगा, रामायण इत्यादि। व्यक्तिवाचक संज्ञा निम्नलिखित रूपों में होती है

1. व्यक्तियों के नाम-राम, कृष्ण, हरि, मोहन ।

2. देशों के नाम-भारत, नेपाल, पाकिस्तान, अमेरिका, फ्रांस, रूस।

3. राष्ट्रीय जातियों के नाम-भारतीय, रूसी, अमेरिकी।

4. नदियों के नाम-गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, सतलज, सिंधु।

5. सागरों के नाम-हिन्द महासागर, प्रशांत महासागर,भूमध्यसागर, काला सागर, अरब सागर।

6. पर्वतों के नाम-हिमालय, विंध्याचल, आल्बोल्गास, हिंदूकुश, कराकोरम।

7. नगरों, चौक और सड़कों के नाम-दिल्ली, आगरा,उदयपुर, जयपुर, अजमेर, चाँदनी चौक, हैरिसन रोड, अशोक मार्ग।

8. दिनों तथा महीनों के नाम-रविवार, सोमवार,शनिवार,जुलाई, अगस्त, जनवरी।

9. त्यौहार तथा पर्वों के नाम-दिवाली, होली, ईद,क्रिसमस।

10. दिशाओं के नाम-पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण।

11. पुस्तकों तथा समाचार पत्रों के नाम-रामचरितमानस,कामायनी, उर्वशी, ऋग्वेद, सरिता, राष्ट्रधर्म, हिन्दुस्तान।

12. ऐतिहासिक घटनाएँ-आजाद हिन्द फौज, नमक सत्याग्रह,असहयोग आन्दोलन, अक्टूबर क्रांति।

 [2] जातिवाचक संज्ञा

जिस शब्द से किसी एक ही जाति की वस्तुओं का समान रूप से बोध होता है, उसको जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- मनुष्य, नगर, पर्वत, नदी, पुस्तक आदि।

जातिवाचक संज्ञाएँ निम्नलिखित रूपों में होती हैं

1. वस्तुओं के नाम-पुस्तक, कुर्सी, मेज, मकान, पलंग, चादर।

2. पशु पक्षियों के नाम-तोता, मोर, कबूतर, घोड़ा, हाथी,गाय, भैंस।

3. सम्बन्धियों के नाम-भाई, बहन, पिता।

4. पदों के नाम-अधिकारी, प्रधानमंत्री, लिपिक, शिक्षक।

5. व्यवसायों के नाम-व्यापारी, बुनकर, बढ़ई, लुहार,

6. प्राकृतिक वस्तुओं के नाम-फूल, भूकम्प, बाढ़, वर्षा, आँधी-तूफान।

7. खाद्य पदार्थ और वस्त्रों के नाम-रोटी, आलू, आम, रायता, लड्डू, रबड़ी, कमीज, पेंट, जाकेट, कोट, साड़ी।

नोट - मनुष्य जातिवाचक संज्ञा है। इससे पूरी मनुष्य जाति का बोध होता है। परन्तु 'राम' कहने से किसी एक मनुष्य का बोध होता है। अतः 'राम' व्यक्तिवाचक संज्ञा है। इसी प्रकार गंगा व्यक्तिवाचक, नदी जातिवाचक, हिमालय व्यक्तिवाचक, पर्वत जातिवाचक, जयपुर व्यक्तिवाचक, नगर जातिवाचक, रामायण व्यक्तिवाचक, पुस्तक जातिवाचक संज्ञाएँ हैं।

जातिवाचक संज्ञा के दो उपभेद हैं-

(क) द्रव्यवाचक संज्ञा तथा (ख) समूहवाचक संज्ञा।

वस्तुत: अंग्रेजी व्याकरण में इन दो भेदों को और बताया गया है और इस प्रकार संज्ञा के कुल पाँच भेद किए जाते हैं। इसी आधार पर कुछ लोग हिंदी में भी संज्ञा के पाँच भेद मानते हैं। वास्तव में ये दोनों भी एक प्रकार से 'जाति' को ही प्रकट करते हैं, अतः इन्हें जातिवाचक के उपभेदों के रूप में लिया जा रहा है:

(क) द्रव्यवाचक संज्ञा

कुछ संज्ञा शब्द ऐसे द्रव्य या पदार्थों का बोध कराते हैं, जिनसे अनेक वस्तुएँ बनती हैं। द्रव्य या पदार्थ का बोध कराने वाली संज्ञा को 'द्रव्यवाचक संज्ञा' कहा जाता है;

1. स्टील, लोहा, पीतल (बर्तनों के लिए)

2. लकड़ी               (फर्नीचर के लिए)

3. प्लास्टिक            (खिलौनों के लिए)

4. ऊन                 (स्वेटर आदि के लिए)

5. सोना-चाँदी            (आभूषणों के लिए)

द्रव्यवाची संज्ञा शब्दों का प्रयोग प्रायः एकवचन' में ही किया जाता है, क्योंकि ये शब्द गणनीय नहीं होते।

(ख) समूहवाचक संज्ञा-

जो संज्ञा शब्द किसी समुदाय या समूह काबोध कराते हैं 'समूहवाचक संज्ञा' कहलाते हैं। जहाँ भी समूह होगा वहाँ एक से अधिक सदस्यों की संभावना होगी,

जैसे- दरबार, सभा, कक्षा, सेना, टीम, भीड़, दल सभी समूहवाचक शब्द हैं।

इन शब्दों का प्रयोग एकवचन में होता है, क्योंकि ये एक ही जाति के सदस्यों के समूह को एक इकाई के रूप में व्यक्त करते हैं।

[3]भाववाचक संज्ञा * किसी पदार्थ के गुण, दशा, व्यापार आदि का बोध कराने वाले शब्द भाववाचक संज्ञा कहलाते है।

जैसे-बचपन, मिठास, निर्धनता, क्रोध, प्रेम इत्यादि।

कुछ अन्य भाववाचक संज्ञाएँ निम्नलिखित हैं -

(क)   गुण-पशुता, मनुष्यता, देवत्व, दुष्टता, मूर्खता, विद्वत्ता, कर्मठता इत्यादि।

(ख)   दशा-बुढ़ापा, जवानी, रोग, जर्जरता, गहराई आदि।

(ग)    व्यापार-दौड़, पढ़ाई, लिखाई, हँसी, बुनाई आदि।

(घ)    मनोभाव-क्रोध, स्नेह, प्रेम, घृणा, तिरस्कार, निन्दा, ईर्ष्या, संयोग, वियोग इत्यादि।

भाववाचक संज्ञाओं की रचना-

भाववाचक संज्ञाओं की रचना मुख्य पाँच प्रकार के शब्दों से होती है

1. जातिवाचक संज्ञाओं से

2. सर्वनाम से

3. विशेषण से

4. क्रिया से

5. अव्यय से 

(1) जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना

जातिवाचक           भाववाचक         जातिवाचक             भाववाचक

मित्र                मित्रता           शिशु                 शिशुत्व 

मानव              मानवता          व्यक्ति                व्यक्तित्व

बच्चा               बचपन           पशु                 पशुता, पशुत्व

देव                देवत्व             शत्रु                  शत्रुत्व, शत्रुता .

लड़का              लड़कपन          स्त्री                   स्त्रीत्व

पुरुष               पुरुषत्व, पौरुष      ग्राम                       ग्राम्यत्व

नोट- भाववाचक संज्ञा बनाने के लिए शब्द के अन्त में वट, हट, पन, व्य, ता, त्व आदि प्रत्ययों का प्रयोग होता है। कुछ शब्दों का रूप पूर्णतः भी बदल जाता है।

(2) सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा बनाना

सर्वनाम संज्ञा           भाववाचक संज्ञा    सर्वनाम संज्ञा      भाववाचक संज्ञा

मम                   ममत्व/ममता      निज             निजत्व

      स्व                   स्वत्व            अपना            अपनापन/ अपनत्व सर्व                    सर्वस्व           आप             आपा

एक                   एकता

 (3) विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाना

विशेषण                भाववाचक संज्ञा

मीठा                  मीठापन, मिठास

खट्टा                  खट्टापन, खटास

मोटा                  मोटापन, मोटाई।

पतला                 पतलापन

सुन्दर                 सुन्दरताई, सौन्दर्य

लम्बा                 लम्बाई

भला                  भलाई

छोटा                  छोटापन, छुटाई

बड़ा                   बड़प्पन, बड़ाई

कोमल                 कोमलता

काला                  कालापन

कठोर                 कठोरता

मूर्ख                  मूर्खता

मधुर                  माधुर्य, मधुरता

पंडित                 पंडिताई, पांडित्य

हरा                   हरापन

 

(4) क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनाना

क्रिया            भाववाचक संज्ञा          क्रिया            भाववाचक संज्ञा

 पढ़ना            पढ़ाई                  लिखना                लिखाई 

थकना           थकावट                रुकना                 रुकावट

उड़ना            उड़ान                 उफनना                उफान 

चिल्लाना         चिल्लाहट               मुस्कराना              मुस्कराहट 

दौड़ना         दौड़                   चलना                 चाल

बोलना           बोली

(5) अव्यय से भाववाचक संज्ञा बनाना

अव्यय           भाववाचक संज्ञा          अव्यय           भाववाचक संज्ञा

निकट            निकटता               समीप            सामीप्य, समीपता

शाबाश           शाबाश                 वाह-वाह          वाहवाही

नोट- भाववाचक संज्ञाएँ सामान्यतः एकवचन में प्रयोग होती हैं किन्तु कभी-कभी उनका प्रयोग बहुवचन में भी हो सकता है,

जैसे- 1. रावण के चरित्र में अनेक बुराइयाँ थीं।

     2. जीवन में कठिनाइयाँ तो आती रहती हैं।

संज्ञा शब्द बनाना

 (1) भाववाचक संज्ञा से जातिवाचक संज्ञा का बनाना

भाववाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा की तरह भी हो सकता है। जैसे-घर से बाहर जाओ तो अपने पहनावे का ध्यान रखो। 'पहनावा','पहरावनी' भाववाचक संज्ञाएँ हैं। किन्तु इस वाक्य में 'पहनावा' का अर्थ अपने पहनने के वस्त्रों से है। यह उनका जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग हुआ है।

भाववाचक संज्ञा          जातिवाचक संज्ञा

मानवता               मानव

स्त्रीत्व                 स्त्री

पुरुषत्व                पुरुष

देवत्व                 देव

 

(2) व्यक्तिवाचक संज्ञा से जातिवाचक संज्ञा बनाना -  किसी विशेष वस्तु के लिए प्रयुक्त संज्ञा शब्द को किसी जाति के लिए प्रयोग किया जाए तो वह जातिवाचक संज्ञा का स्वरूप ले लेती है।

जैसे-1. आगरा में घर-घर में ताजमहल बनते हैं।

यहाँ 'ताजमहल' का आशय ताजमहल की अनुकृतियों से है।

2. दुर्भाग्य का सामना कोई अर्जुन भी नहीं कर पाता।

यहाँ 'अर्जुन' शब्द का आशय पराक्रमी पुरुषों से है।

(3)..जातिवाचक संज्ञा से व्यक्तिवाचक संज्ञा बनाना  - जब किसी जातिवाचक संज्ञा का प्रयोग किसी विशेष व्यक्ति अथवा वस्तु के लिए होता है तो, वह व्यक्तिवाचक संज्ञा का रूप ले लेती है।

जैसे- जैसे-हमारी पुलिस के पास अनेक चेतक हैं।

'चेतक' राणा प्रताप के घोड़े का नाम है। यह व्यक्तिवाचक संज्ञा है किन्तु इस वाक्य में 'चेतक' का अर्थ 'घोड़े' है, जो जातिवाचक संज्ञा है। इस तरह व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा के रूप में हुआ है।

नोट्स के PDF को Download करें 

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कुमार MAHESH

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