घातक लगती है......
फैली जो वैश्विक बीमारी अब ,घातक लगती है ।
हम इंसानो की लाचारी अब, घातक लगती है ।।
हाथ मिलाना करना यारी अब ,घातक लगती हैं।
मिलना-जुलना, रिश्तेदारी अब, घातक लगती हैं।।
हर प्रिय-प्रियतमा प्यारी अब , घातक लगती है।
काँटों से फूलो की क्यारी अब, घातक लगती हैं।।
फल-फूल और तरकारी अब , घातक लगती है।।
जीवन पर बंदिशे सरकारी अब,घातक लगती है।।
फिरकापरस्ती की फनकारी अब,घातक लगती है।
सोशल-मीडिया की मक्कारी अब,घातक लगती हैं।।
रोज सुबह खबरें अखबारी अब, घातक लगती हैं।
सत्ता के भय से चाटुकारी अब,घातक लगती है।।
हर मुद्दे में नहीं ईमानदारी अब,घातक लगती हैं।
आवाम भी बड़ी अय्यारी अब, घातक लगती हैं।।
दुनिया की ये दुनियादारी अब, घातक लगती है।
बुद्धिमानो की समझदारी अब, घातक लगती हैं।।
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