TEACHING & WRITING BY MK

इस ब्लॉग पर मेरी विभिन्न विषयों पर लिखी गई कविता, कहानी, आलेख और शिक्षण सामग्री का प्रकाशन किया जाता है.

कसक बहुत होती है.........

कसक बहुत होती है.........
कसक बहुत होती है, जब भगवानो पर पथराव होते हैं।
कानून व्यवस्था को बनाने वालों संग टकराव होते हैं।
फूल की जगह पत्थर" हैं, खाली-दिमाग शैतानी-घर हैं ,
गुमराह हैं युवा ऊर्जा और शक्ति , तो भटकाव होते हैं।
रही होगी कभी साँझी विरासत,ईद होली गले मिले होगें,
एक दूजे की बस्ती में बेख़ौफ अब नहीं ठहराव होते हैं।
महामारी में भी फिरकापरस्ती का प्रसाद ही बांट रहे हैं , 
तोहमत हमारी सियासत,अल्फाजो में भी अलगाव होते हैं।
अफवाहो के बाजार गरम हैं, दहशत में मानव से मानव,
चोटी,दाढी,टोपी,गमछा क्या रखे ,सब में उलझाव होते हैं।
मुद्दों का समाधान महज बहस, जिससे आग लगाई जाती,
सर फोडने का मन करता, टीवी पर झूठ के दोहराव होते हैं।
पेट की भूख से नहीं मरेगे ,नफरत के शोलो से जल जायेंगे ,
कुछ अपने फायदे से बिछाते हैं बारूद और सुलगाव होते हैं।
"महेश"किसे सुकून मिला हैं ,हंगामा,तोडफोड,आगजनी से 
उल्लू उनका सीधा हो जाता,जब भी हममें बिखराव होते हैं।
कुमार महेश (21/04/20)
व्यथित मन का सृजन




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कुमार MAHESH

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