माँ की महिमा के रंगों से ,श्वेत कागज को सजाने में।
बहुत लरजते हैं,कंपकपाते है,हाथ आज कलम उठाने में।
असीम किरदार को भला कैसे?लिखे शब्दों के बयाने में ।
हर नेमत छिपी रहती है, माँ के ह्रदय रूपी खजाने में।
आंगन, चौका, घरबार, स्वर्ग से ,ये माँ की व्यवस्था है।
संतान के सुख हेतु आशीर्वाद
देती , माँ ऐसी अवस्था है।
सुबह से शाम गृहस्थी को
स़ँवारतीं ,माँ ऐसा अभ्यास हैं।
माँ घर में हैं तो खुशियाँ, घर के घर होने का एहसास हैं।
माँ कहीं ममता, करूणा ,निश्छल प्रेम का पर्याय हैI
माँ कहीं श्यामल दुःख, पीडा में छिपी हुई हाय है।
माँ बिना चाहत के अपना
वात्सल्य सदा बरसाती है।
माँ हमे सदाचार और हरदम
नेकी की राह बताती हैं।
माँ का आँचल सतरंगी रंगों
से रंगा, इन्द्रधनुष होता हैं।
तमाम सुकून मिलते इसमें ,हर बालक बेखबर सोता हैं।
माँ के इस आँचल में ,सम्पूर्ण नवरस बसते बसाते हैं।
हास्य ,करुण, रौद्र सभी मिल माँ को, सरस बनाते है।
हमारे तमाम दुःखो पर मरहम
सा,माँ का प्यार होता है ।
जख्मो पर जब माँ के ,ममतामयी हाथों का दुलार होता है।
छाती से लगा लेती है ,संकट में जैसे कलेजे का हार होता है।
घर में माँ नहीं रहती तो ,कब सुख वैभव का मल्हार होता हैं?
अन्य रिश्तो कंहाँ मिलता हैं, सच्चा अपनत्व का आभास ।
माँ कभी नहीं चाहती की, उसकी संतान हो कभी उदास।
विस्तृत अंक में समेट लेती
पीडा, न आने देती कभी पास।
हमारे जीवन के तम को मिटाने, दिया बन फैलाती प्रकाश ।
माँ तू सचमुच सौहार्द ,त्याग की मूर्ति अपनत्व की खान हैं।
तेरे दूध के कर्ज का ऋणी
सदा, तेरे चरणों में ये जान है।
काशी, मथुरा,वृन्दावन चरणों में तेरे
सारे तीर्थ स्थान हैं।
हर बार जन्म लूँ तुझ से ,प्रणाम तुझे ! तू सचमुच महान है।
kumar mahesh (10-05-2020)
mother |
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