जलता सवाल रखा है………………….
हमनें भी कैसा ? अजीब सा -शौक पाल रखा हैं ।
बेकार ही फितरत में, साफगोई को डाल रखा है।।
सच परेशाँ भी हो रहा है , पराजित भी हो रहा है।
इस अजांम से दिल में ,बेइन्तहा मलाल रखा है।।
छल की दूनिया मे चिट भी उनकी,पट भी उनकी।
हमने तो यूँ ही ,सिक्के पे सिक्का उछाल रखा है।।
झूठ की नींव पर ,सच की ईमारत बुलंद हो रही है ।
चालाक बंदों ने आजकल, ये हुनर निकाल रखा है।।
सम्मान और प्रशंसा-पत्र बट रहे हैं ,चाटुकारों में।
बेहरूपियो ने जब से, मंचों को सम्भाल रखा है।।
रब के दर पर भी पाप के आयाम,हो रहे नित नये।
रहनुमा सच्चा भी हैं कहीं ?जलता सवाल रखा है।।
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