हे सर्वशक्तिमान !
सारी दुनिया आज कर्फ्यू के हवाले.
अब सब सोच रहे ,क्या करे बैठे ठाले ?
दिल ने कहा कागज़ कलम उठाले .
मन की साड़ी पीड़ा लिख डाले .
दुनिया के चलन अजब- निराले .
सिकंदर है ये ,कुछ मन के काले .
खुदखुशी का सामान ही पाले .
जिस डाल पर बैठे ,काटे वही डाले .
सौगातों में दिए , जख्म और छाले ,
मौत के वायरस के बने है निवाले.
साँपों को भी आश्चर्य,है कैसे मतवाले .
पड़ गए जब सभी को जान के लाले .
कारागृह घर-घर बने ,लगे है ताले .
अर्ज हमारी –औ दुनिया के रखवाले .
मौन रहे ना मंदिर-मस्जिद और शिवाले.
नादांन है हम अगर गलती कर डाले .
खुदा समझ खुद की दुनिया में आग लगाले .
तेरे बिन गुमराहों को फिर कोन संभाले ?
हे सर्वशक्तिमान !है हम सब अब तेरे हवाले .
इस महामारी को दूर कर फैला उजाले .
कुमार महेश (२३-०३-२०२०)
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