TEACHING & WRITING BY MK

इस ब्लॉग पर मेरी विभिन्न विषयों पर लिखी गई कविता, कहानी, आलेख और शिक्षण सामग्री का प्रकाशन किया जाता है.

CLASS-12 CHAPTER -3 KUNWAR NARYAN (POEM-KAVITA KE BAHANE)

 

CLASS-12-HINDI-COMPULSORY-SUMAARY-OF-LESSON-3
KAVITA-KE-BAHANE

कुंवर नारायण-कविता के बहाने

कवि परिचय- कुंवर नारायण

जीवन परिचय-    कुंवर नारायण आधुनिक हिंदी कविता के सशक्त हस्ताक्षर हैं। इनका जन्म 19 सितंबर, सन 1927 को फैजाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई थी। विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से पूरी की। इन्होंने अनेक देशों की यात्रा की है। कुंवर नारायण ने सन 1950 के आस-पास काव्य-लेखन की शुरुआत की। इन्होंने चिंतनपरक लेख, कहानियाँ सिनेमा और अन्य कलाओं पर समीक्षाएँ भी लिखी हैं। प्रमुख पुरुस्कार - इन्हें अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया है; जैसे-कबीर सम्मान, व्यास सम्मान, लोहिया सम्मान,प्रेमचंद पुरस्कार , साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार तथा केरल का कुमारन आशान पुरस्कार आदि।

न जाने कब  से बंद/एक दिन इस तरह खुला घर का दरवाजा/जैस गर्द से ढँकी/एक पुरानी किताब

कुंवर नारायण HINDI POET
कुंवर नारायण

QUIZ OF THIS UNIT

KAVITA KE BAHANE -KUNWAR NARAYAN
QUIZ-KAVITA KE BAHANE


प्रमुख रचनाएँ-ये तीसरे सप्तकके प्रमुख कवि हैं। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-

काव्य-संग्रह-चक्रव्यूह (1956), परिवेश : हम तुम, अपने सामने, कोई दूसरा नहीं, इन दिनों।

प्रबंध-काव्य-आत्मजयी।

कहानी-संग्रह-आकारों के आस-पास।

समीक्षा-आज और आज से पहले।

सामान्यमेरे साक्षात्कार।

गर्द से ढँकी हर पुरानी किताब खोलने की बात कहने वाले कुँवर नारायण ने सन् 1950 के आस-पास काव्य लेखन की शुरूआत की। उन्होंने कविता के अलावा चिंतनपरक लेख, कहानियाँ और सिनेमा तथा अन्य कलाओं पर समीक्षाएँ भी लिखीं हैं, किंतु कविता की विधा को उनके सृजन-कम में हमेशा प्राथमिकता प्राप्त रही। नयी कविता के दौर में, जब प्रबंध काव्य का स्थान प्रबंधत्व की दावेदार लंबी कविताएँ लेने लगीं तब कुँवर नारायण ने काव्य का स्थान प्रबंध काव्य रचकर भरपूर प्रतिष्ठा प्राप्त की। आलोचक मानते हैं कि उनकी कविता में व्यर्थ का उलझाव ,अखबारी सतहीपन और वैचारिक धुंध के बजाय संयम, परिष्कार और साफ सुथरापन है। भाषा और विषय की विविधता उनकी कविताओं के विशेष गुण माने जाते हैं। उनमें यथार्थ का खुरदरापन भी मिलता है और उसका सहज सौंदर्य भी। सीधी घोषणाएँ और फैसले उनकी कविताओं में नहीं मिलते क्योंकि जीवन को मुकम्मल तौर पर समझने वाला एक खुलापन उनके कवि-स्वभाव की मूल विशेषता है। इसीलिए संशय, संभ्रम प्रश्नाकुलता उनकी कविता के बीज शब्द है।

कुँवर जी पूरी तरह नागर संवेदना के कवि हैं। विवरण उनके यहाँ नहीं के बराबर हैं,पर वैयक्तिक और सामाजिक ऊहापोह का तनाव पूरी व्यंजकता में सामने आता है। एक पंक्ति  में कहें तो इनकी तटस्थ वीतराग दृष्टि नोच-खसोट, हिंसा-प्रतिहिंसा से सहमे हुए एक संवेदनशील मन के आलोड़नों के रूप में पढ़ी जा सकती है।

यहाँ पर कुँवर नारायण की दो कविताएँ ली गई हैं। पहली कविता है- कविता के बहाने जो इन दिनों संग्रह से ली गई है। आज का समय कविता के वजूद को लेकर आशंकित है। शक है कि यांत्रिकता के दबाव से कविता का अस्तिव नहीं रहेगा। ऐसे में यह कविता-कविता की अपार संभावनाओं को टटोलने का एक अवसर देती है। कविता के बहाने यह एक यात्रा है जो चिड़िया, फूल से लेकर बच्चे तक की है। एक ओर प्रकृति है दूसरी ओर भविष्य की ओर कदम बढ़ाता बच्चा। कहने की आवश्यकता नहीं कि चिड़िया की उड़ान की सीमा है, फूल के खिलने के साथ उसकी परिणति निश्चित है, लेकिन बच्चे के सपने असीम है। बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का कोई स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य सभी उपकरण मात्र हैं। इसीलिए जहाँ कहीं       रचनात्मक ऊर्जा होगी वहाँ सीमाओं के बंधन खुद-ब-खुद टूट जाते हैं। वो चाहें घर की सीमा हो, भाषा की सीमा हो या फिर समय की ही क्यों न हो। . दूसरी कविता है बात सीधी थी पर जो कोई दूसरा नहीं संग्रह में संकलित है। कविता में कथ्य और माध्यम के द्वंद्व उकेरते हुए भाषा की सहजता की बात की गई है। हर बात के लिए कुछ खास शब्द नियत होते हैं ठीक वैसे ही जैसे हर पेंच के लिए एक निश्चित खाँचा होता है। अब तक जिन शब्दों को हम एक-दूसरे के पर्याय के रूप में जानते रहे हैं उन सब के भी अपने विशेष अर्थ होते हैं। अच्छी बात या अच्छी कविता का बनना सही बात का सही शब्द से जुड़ना होता है और जब ऐसा होता है तो किसी दबाव या अतिरिक्त मेहनत की ज़रूरत नहीं होती वह सहूलियत के साथ हो जाता है।

काव्यगत विशेषताएँ-कवि ने कविता को अपने सृजन कर्म में हमेशा प्राथमिकता दी। आलोचकों का मानना है कि उनकी कविता में व्यर्थ का उलझाव, अखबारी सतहीपन और वैचारिक धुंध की बजाय संयम, परिष्कार और साफ-सुथरापन है।कुंवर जी नारायण नगरीय संवेदना के कवि हैं। इनके यहाँ विवरण बहुत कम हैं, परंतु वैयक्तिक तथा सामाजिक ऊहापोह का तनाव पूरी व्यंजकता में सामने आता है। इनकी तटस्थ वीतराग दृष्टि नोच-खसोट, हिंसा-प्रतिहिंसा से सहमे हुए एक संवेदनशील मन के आलोडनों के रूप में पढ़ी जा सकती है।

भाषा-शैली-भाषा और विषय की विविधता इनकी कविताओं के विशेष गुण माने जाते हैं। इनमें यथार्थ का खुरदरापन भी मिलता है और उसका सहज सौंदर्य भी। सीधी घोषणाएँ और फैसले इनकी कविताओं में नहीं मिलते क्योंकि जीवन को मुकम्मल तौर पर समझने वाला एक खुलापन इनके कवि-स्वभाव की मूल विशेषता है।

कविता –कविता के बहाने

कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने

कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने

बाहर भीतर इस घर उस घर कविता के

पंख लगा उड़ने के माने चिड़िया क्या जाने?

कविता एक खिलना है फूलों के बहाने

कविता का खिलना भला फूल क्या जाने!

बाहर भीतर इस घर, उस घर बिना

मुरझाए महकने के माने फूल क्या जाने ?

कविता एक खेल है बच्चों के बहाने

बाहर भीतर

यह घर, वह घर

सब घर एक कर देने के माने

बच्चा ही जाने।

प्रतिपादय-कविता के बहानेकविता कवि के कविता-संग्रह इन दिनोंसे ली गई है। आज के समय में कविता के अस्तित्व के बारे में संशय हो रहा है। यह आशंका जताई जा रही है कि यांत्रिकता के दबाव से कविता का अस्तित्व नहीं रहेगा। ऐसे में यह कविता-कविता की अपार संभावनाओं को टटोलने का एक अवसर देती है।

सार-यह कविता एक यात्रा है जो चिड़िया, फूल से लेकर बच्चे तक की है। एक ओर प्रकृति है दूसरी ओर भविष्य की ओर कदम बढ़ाता बच्चा। कवि कहता है कि चिड़िया की उड़ान की सीमा है, फूल के खिलने के साथ उसकी परिणति निश्चित है, लेकिन बच्चे के सपने असीम हैं। बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का कोई स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य-सभी उपकरण मात्र हैं। इसीलिए जहाँ कहीं रचनात्मक ऊर्जा होगी, वहाँ सीमाओं के बंधन खुद-ब-खुद टूट जाते हैं। वह सीमा चाहे घर की हो, भाषा की हो या समय की ही क्यों न हो।

 

कविता की सप्रसंग व्याख्या

(1)

कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने

कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने

बाहर भीतर इस घर उस घर कविता के

पंख लगा उड़ने के माने चिड़िया क्या जाने?

कठिन-शब्दार्थ- उड़ान = उड़ना, कल्पना। बहाने = प्रतीक बनाकर। कविता की उड़ान = कविता की असीम पहुँच या प्रभाव। क्या जाने = क्या समझ सकती है। बाहर-भीतर = थोड़ी दूर तक। इस घर उस घर = एक घर से दूसरे घर तक। कविता के पंख = कवि की कल्पनाएँ। माने = अर्थ।।

संदर्भ तथा प्रसंग-  प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक “आरोह” में संकलित कवि कुँवर नारायण की कविता कविता के बहानेसे लिया गया है। इस अंश में चिड़िया के बहाने से कविता की असीम संभावनाओं पर प्रकाश डाला गया है।

व्याख्या-   कवि कहता है कि कविता कवि के विचारों तथा भावनाओं की कल्पना के पंखों की सहायता से भरी गई उड़ान है। जिस प्रकार चिड़िया पंखों के सहारे उड़ती है, उसी प्रकार कवि भी कल्पना के सहारे कविता में अपने मनोभावों को प्रकट करता है। कवि की कल्पना असीम और अनन्त होती है। उस पर देश और काल का कोई बन्धन नहीं होता। वह अपनी कल्पना के सहारे सम्पूर्ण धरती पर ही नहीं, असीम आकाश में भी उड़ता है। चिड़िया अपने पंखों से उड़ती तो है परन्तु उसकी उड़ान की एक सीमा है। वह एक घर से दूसरे घर के बाहर और भीतर तक ही उड़ती है। कविता जब कल्पना के पंखों से उड़ती है उसमें बाहर-भीतर की कोई सीमा नहीं होती। कविता की इस असीमित विस्तार वाली उड़ान की तुलना चिड़िया की उड़ान से नहीं की जा सकती।

विशेष-

(i) कवि ने कविता के कल्पना की सहायता से भरी जाने वाली उड़ान बताया है। चिड़िया की उड़ान उसकी बराबरी नहीं कर सकती। कवि देशों और समय की सीमाओं को लाँघती हुई, जन-मन को प्रभावित करती रही है।

(ii) चिड़िया आकाश में अपने पंखों के सहारे एक सीमा तक ही उड़ती है परन्तु कविता कल्पना के सहारे लोगों के मन को गहराई तक छूती है। समय तथा स्थान की कोई बाधा उसको रोक नहीं पाती। कविता की जन-मन रंजन की शक्ति असीमित है। चिड़िया की उड़ान के माध्यम से कवि ने कविता के अपूर्व प्रभाव की महिमा प्रकट की है।

(iii) काव्यांश की भाषा सरल, किन्तु गम्भीर अर्थ वाली है। कथन की शैली में लक्षणा शक्ति का पूरा उपयोग हुआ है।

(iv) काव्यांश में कविता की उड़ान ….. क्या जानेमें वक्रोक्ति अलंकार है।कविता के पंख लगाकर उड़नेमें मानवीकरण तथा रूपक है तथा बाहर-भीतर, इस घर उस घर में अनुप्रास अलंकार है।

(2).

कविता एक खिलना है फूलों के बहाने

कविता का खिलना भला फूल क्या जाने!

बाहर भीतर इस घर, उस घर बिना

मुरझाए महकने के माने फूल क्या जाने ?

कठिन-शब्दार्थ-खिलना = फूल का खिलना, कविता का आनंदमय प्रभाव। बाहर, भीतर = सीमित स्थान में, (कविता के पक्ष में), सर्वत्र। इस घर, उस घर = अपने देश में और विदेशों में। बिना मुरझाए = सदा एक जैसा आनंद देते हुए। महकना = (फूल के पक्ष में) सुगंध बिखेरना (कविता के पक्ष में) आनंदित करना, प्रभावित करना।

संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत.काव्याशं हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कवि कुँवर नारायण की कविता कविता के बहाने से लिया गया है। कवि कविता की तुलना फूल और उसकी सुगंधि से कर रहा है

व्याख्या-कविता और फूल दोनों ही खिलते हैं, आनंददायक प्रभाव व्यक्त करते हैं, किन्तु कविता के खिलने की तुलना फूल के खिलने से नहीं की जा सकती। फूल जब खिलता है तो उसकी सुगन्ध उसके निकटवर्ती स्थान तक ही फैलती है। कविता के सरस प्रभाव की कोई सीमा नहीं है। कविता का रसात्मक आनन्द समस्त विश्व को सुख देता है। कुछ दिनों के बाद फूल मुरझा जाता है और उसकी सुगन्ध भी नष्ट हो जाती है, किन्तु कविता की सरसता अनन्त काल तक सम्पूर्ण संसार को आनन्द का अनुभव कराती रहती है।

विशेष-

(i) कवि ने फूल तथा कविता की समानता उनके खिलने में बताई है। फूल डाली पर खिलता है और सुगन्ध बिखेरता है। वैसे ही कविता कवि के हृदय में विकसित होकर जब बाहर प्रकट होती है तो अपने रस से लोगों को आनन्दित करती है। फूल की महक अपने आस-पास के घरों के बाहर तथा भीतर लोगों को आनन्द देती है। उसकी महक दूर के स्थानों तक नहीं पहुँच पाती।

(ii) आशय यह है कि फूल मुरझा जाता है तो उसकी सुगन्ध नष्ट हो जाती है किन्तु कविता कभी भी मुरझाती नहीं अर्थात् कविता की रसात्मकता समय बीतने पर नष्ट नहीं होती। कविता कभी पुरानी नहीं पड़ती, वह हर काल में लोगों को आनन्द देती है।

(iii) काव्यांश की भाषा सरल, किन्तु भाव की गहराई को छिपाए है। शैली में कथन की विचित्रता कवि के काव्य-कौशल का प्रमाण दे रही है।

(iv) काव्यांश में बिना मुरझाए महकने के मानेमें अनुप्रास, खिलनामें यमक तथा कविता का ….. क्या जानेमें व्यतिरेक अलंकार है।

(3).

कविता एक खेल है बच्चों के बहाने

बाहर भीतर

यह घर, वह घर

सब घर एक कर देने के माने

बच्चा ही जाने।

कठिन-शब्दार्थ-एक कर देना = भेद-भाव मिटा देना।

संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कवि कुँवर नारायण की कविता कविता के बहानेसे लिया गया है। कवि कविता की तुलना बच्चों के खेल से कर रही है।

व्याख्या-कवि कहता है कि कविता बच्चों के खेल के समान है। बच्चे घर के बाहर तथा अन्दर एक घर से दूसरे घर तक बेरोक-टोक खेलते हैं। वे अपने खेल द्वारा सभी घरों को एक-दूसरे से जोड़ते हैं। खेल द्वारा सभी भेदभावों को मिटाकर सच्ची एकता पैदा करने की क्षमता बच्चों में ही होती है। कविता भी बच्चों के खेल की तरह ही है। कवि अनेक भावों और विचारों की कल्पना करके उनके साथ खेलता है। उसकी कविता का प्रभाव सभी श्रोताओं तथा पाठकों पर होता है। कविता का आनन्द देश-काल की सीमाओं में नहीं बँधता। सच्ची कविता सभी कालों में तथा सभी देशों में लोगों को प्रभावित करती है। दूरियाँ मिटाकर संसार में वास्तविक एकता कविता ही ला सकती है।

विशेष-

(i) कविता की तुलना बच्चों के खेल से करते हुए कवि संदेश देना चाहता है कि जैसे बच्चे निष्पक्ष भाव से एक - घर से दूसरे में खेलने चले जाते हैं, इसी प्रकार, एक अच्छी कविता भी बिना किसी पक्षपात के सभी का मनोरंजन करती है।

(ii) बच्चे जिस प्रकार अपने खेलों से एक घर को दूसरे से जोड़ते हैं, कवि भी उसी प्रकार अपनी कविता से समाजों और देशों का एक-दूसरे को समझने का अवसर देता है। उन्हें परस्पर मिलाता है।

(iii) काव्यांश की भाषा सरल है और प्रवाहपूर्ण है। गहरे भावों को सहजता से व्यक्त करती है।

(iv) ‘बाहर-भीतर’, ‘यह घर वह घरतथा बच्चों के बहानेमें अनुप्रास अलंकार है।

(v) काव्यांश पाठकों को सभी भाषाओं के काव्यों के अनुशीलन के लिए प्रेरित करता है।

पाठ के महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर संग्रह

Q1. कविता एक उड़ान हैं चिड़िया के बहाने’-पक्ति का भाव बताइए।

Ans1.    इस पंक्ति का अर्थ यह है कि चिड़िया को उड़ते देखकर कवि की कल्पना भी ऊँची-ऊँची उड़ान भरने लगती है। वह रचना करते समय कल्पना की उड़ान भरता है।

Q2.     कविता कहाँ-कहाँ उड़ सकती हैं?

Ans2.   कविता पंख लगाकर मानव के आंतरिक व बाहय रूप में उड़ान भरती है। वह एक घर से दूसरे घर तक उड़ सकती है।

Q3.     कविता की उडान व चिडिया की उडान में क्या अंतर हैं?

Ans3.   चिड़िया की उड़ान एक सीमा तक होती है, परंतु कविता की उड़ान व्यापक होती है। चिड़िया कब्रिता की उड़ान को नहीं जान सकती।

Q4.     कविता के पंख लगाकर कौन उड़ता है?

Ans4.   कविता के पंख लगाकर कवि उड़ता है। वह इसके सहारे मानव-मन व समाज की भावनाओं को अभिव्यक्ति देता है।

Q5.     कविता एक खिलन हैं, फूलों के बहानेऐसा क्यों?

Ans5.   कविता फूलों के बहाने खिलना है क्योंकि फूलों को देखकर कवि का मन प्रसन्न हो जाता है। उसके मन में कविता फूलों की भाँति विकसित होती जाती है।

Q6.     कविता रचने और फूल खिलने में क्या साम्यता हैं?

Ans6.    जिस प्रकार फूल पराग, मधु व सुगंध के साथ खिलता है, उसी प्रकार कविता भी मन के भावों को लेकर रची जाती है।

Q7. बिना मुरझाए कौन कहाँ महकता हैं?

Ans7.    बिना मुरझाए कविता हर जगह महका करती है। यह अनंतकाल तक सुगंध फैलाती है।

Q8.      कविता का खिलना भला कूल क्या जाने। ‘-पंक्ति का आशय स्पष्ट र्काजि।

Ans8.  इस पंक्ति का आशय यह है कि फूल के खिलने व मुरझाने की सीमा है, परंतु कविता शाश्वत है। उसका महत्व फूल से अधिक है।

Q9.     कविता को क्या सज्ञा दी गई हैं? क्यों?

Ans9.   कविता को खेल की संज्ञा दी गई है। जिस प्रकार खेल का उद्देश्य मनोरंजन व आत्मसंतुष्टि होता है, उसी प्रकार कविता भी शब्दों के माध्यम से मनोरंजन करती है तथा रचनाकार को संतुष्टि प्रदान करती है।

Q10.    कविता और बच्चों के खेल में क्या समानता हैं?

Ans10.  बच्चे कहीं भी, कभी भी खेल खेलने लगते हैं। इस तरह कविता कहीं भी प्रकट हो सकती है। दोनों कभी कोई बंधन नहीं स्वीकारते।

Q11.     कविता की कौन-कौन-सी विशेषताएँ बताई गई हैं?

Ans11.   कविता की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

1)   यह सर्वव्यापक होती है।

2)  इसमें रचनात्मक ऊर्जा होती है।

3)  यह खेल के समान होती है।

Q12.     बच्चा कौन-सा बहाना जानता हैं?

Ans12. बच्चा सभी घरों को एक समान करने के बहाने जानता है।

प्रश्न 1.कुंवर नारायण हिन्दी कविता के किस स्वरूप से जुड़े हुए हैं?

उत्तर: कुंवर नारायण हिन्दी कविता में नई कवितानामक स्वरूप से जुड़े हैं।

प्रश्न 2. कवि ने चिड़िया के बहाने कविता को क्या बताया है?

उत्तर: कवि ने चिड़िया के बहाने कविता को एक उड़ान बताया है।

प्रश्न 3.चिड़िया क्या नहीं जान सकती है?

उत्तर:चिड़िया कविता की सीमारहित उड़ान को नहीं जान सकती है।

प्रश्न 4.चिड़िया की उड़ान और कविता की उड़ान में क्या मुख्य अंतर है?

उत्तर:चिड़िया की उड़ान का क्षेत्र सीमित होता है, जबकि कविता की उड़ान देश या काल के बंधन से मुक्त होती है।

प्रश्न 5.फूलों के बहाने कवि क्या बताना चाहता है?

उत्तर:कवि फूलों के बहाने कविता को भी एक खिलने वाली वस्तु बताना चाहता है।

प्रश्न 6.कविता के खिलने का आशय क्या है?

उत्तर:कविता के खिलने का आशय है-कविता का रसपूर्ण आकर्षण

प्रश्न 7.फूल कविता का खिलना क्यों नहीं जान सकता?

उत्तर:फूल एक ही सीमित स्थान पर अपने महक और सुन्दरता से प्रभावित करता है, जबकि कविता घर-घर और देश-देशान्तर तक अपनी सुगन्ध फैलाया करती है।

प्रश्न 8.कविता और फूल की महक में क्या अंतर है?

उत्तर:फूल की महक (सुगन्ध) एक सीमित स्थान में ही प्रभाव डालती है, किन्तु कविता का आनन्द घर-घर और देश-देश तक अपना आनन्द बिखेरा करता है।

प्रश्न 9.बिना मुरझाए महकने का क्या अर्थ है?

उत्तर:कवि तो सदाबहार फूल के समान है, जो कभी न तो मुरझाए और न ही उसकी सुगन्ध समाप्त हो।

प्रश्न 10.‘कविता के बहानेकविता का वर्ण्य विषय क्या है?

उत्तर:कविता के बहानेकविता के वर्णन का विषय है-कविता का सुरक्षित भविष्य। कवि ने इस आशंका को निर्मूल बताया। है कि भौतिकवादी दृष्टि से बढ़ने से कविता की उपेक्षा हो जाएगी।

प्रश्न 11.बच्चों के खेल की मानवता को क्या देन है?

उत्तर:बच्चों के खेल मानवों को उदार दृष्टिकोण अपनाने और सभी प्रकार के भेद-भाव को त्यागने की प्रेरणा देते हैं।

प्रश्न 12.कुंवर नारायण हिन्दी कविता के किस स्वरूप से जुड़े हुए हैं?

उत्तर: कुंवर नारायण हिन्दी कविता में नई कवितानामक स्वरूप से जुड़े हैं।

प्रश्न 13. कवि ने चिड़िया के बहाने कविता को क्या बताया है?

उत्तर: कवि ने चिड़िया के बहाने कविता को एक उड़ान बताया है।

प्रश्न 14.चिड़िया क्या नहीं जान सकती है?

उत्तर:चिड़िया कविता की सीमारहित उड़ान को नहीं जान सकती है।

प्रश्न 15.चिड़िया की उड़ान और कविता की उड़ान में क्या मुख्य अंतर है?

उत्तर:चिड़िया की उड़ान का क्षेत्र सीमित होता है, जबकि कविता की उड़ान देश या काल के बंधन से मुक्त होती है।

प्रश्न 16.फूलों के बहाने कवि क्या बताना चाहता है?

उत्तर:कवि फूलों के बहाने कविता को भी एक खिलने वाली वस्तु बताना चाहता है।

प्रश्न 17.कविता के खिलने का आशय क्या है?

उत्तर:कविता के खिलने का आशय है-कविता का रसपूर्ण आकर्षण

प्रश्न 18.फूल कविता का खिलना क्यों नहीं जान सकता?

उत्तर:फूल एक ही सीमित स्थान पर अपने महक और सुन्दरता से प्रभावित करता है, जबकि कविता घर-घर और देश-देशान्तर तक अपनी सुगन्ध फैलाया करती है।

प्रश्न 19.कविता और फूल की महक में क्या अंतर है?

उत्तर:फूल की महक (सुगन्ध) एक सीमित स्थान में ही प्रभाव डालती है, किन्तु कविता का आनन्द घर-घर और देश-देश तक अपना आनन्द बिखेरा करता है।

प्रश्न 20.बिना मुरझाए महकने का क्या अर्थ है?

उत्तर:कवि तो सदाबहार फूल के समान है, जो कभी न तो मुरझाए और न ही उसकी सुगन्ध समाप्त हो।

प्रश्न 21.‘कविता के बहानेकविता का वर्य विषय क्या है?

उत्तर:कविता के बहानेकविता के वर्णन का विषय है-कविता का सुरक्षित भविष्य। कवि ने इस आशंका को निर्मूल बताया। है कि भौतिकवादी दृष्टि से बढ़ने से कविता की उपेक्षा हो जाएगी।

प्रश्न 22.बच्चों के खेल की मानवता को क्या देन है?

उत्तर:बच्चों के खेल मानवों को उदार दृष्टिकोण अपनाने और सभी प्रकार के भेद-भाव को त्यागने की प्रेरणा देते हैं।

प्रश्न 23.कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने-का अभिप्राय क्या है?

उत्तर:इस कथन का अभिप्राय है कि चिड़िया की उड़ान सीमित क्षेत्र तक ही होती है, जबकि कविता का प्रभाव विश्वव्यापी होता है।

प्रश्न 24.“सब घर एक कर देने के माने बच्चा ही जाने का क्या अभिप्राय है?

उत्तर:अभिप्राय यह है कि कविता का प्रभाव बच्चों के खेल की तरह भेदभावरहित और एकता का संदेश देने वाला होता है।

प्रश्न 25.‘कविता के बहानेशीर्षक कविता का उद्देश्य क्या है?

उत्तर:कविता के बहानेकविता में कवि ने आज के यंत्र प्रधान, भौतिकतावादी वातावरण में भी कविता के महत्व और प्रभाव को स्थापित करना चाहा है। यद्यपि कविता में लोगों की रुचि कम हुई है, फिर भी मानवीय मूल्यों के रक्षण और सामाजिक समरसता की दृष्टि से कविता आज भी प्रासंगिक है। चिड़िया की उड़ान, फूलों का खिलना और बच्चों के खेल को प्रतीक बनाकर कवि कविता के असीम प्रभाव को ही सत्यापित किया है। कविता के महत्व को पुनः स्थापित करना ही कवि का लक्ष्य प्रतीत होता है।

प्रश्न 26.बिना मुरझाए कौन महकता है तथा क्यों?

उत्तर:फूलों के खिलने के बहाने कवि ने कविता के अंदर की चिरंतनता को प्रमाणित किया है। फूल खिलता अवश्य है, किन्तु समय के साथ वह मुरझा जाता है। उसका सुंदर रूप तथा सुगंध समय की दया पर आश्रित होता है। उसके खिलने की उम्र बहुत छोटी होती है। इसके विपरीत कविता ऐसा फूल है, जिसका आकर्षण युगों तक बना रहता है। इसकी महक दूर-दूर तक फैलती है। इसका कारण यही है कि फूल एक क्षणिक प्राकृतिक घटना है और कविता मानव हृदय की चिरंतन भावधारा है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ती जाती है। कभी मुरझाती नहीं।

प्रश्न 27. कविता एक खेल है…… बच्चा ही जाने।पंक्ति का भावार्थ लिखिए।

उत्तर: इस कथन के द्वारा कवि बताना चाहता है कि कविता भी बच्चों के खेल की भाँति एक प्रकार का खेल ही है। बच्चे खेलते समय एक घर से दूसरे घर में बिना किसी झिझक और अपने-पराये का भेद किए खेलने जाते रहते हैं। उनके मन में कोई भेद-भाव नहीं होता। वे अपनी सुंदर क्रीड़ाओं से घरों को परस्पर जोड़ने का काम किया करते हैं। इस प्रकार, बच्चे मानवीय एकता के संदेशवाहक होते हैं।

इसी प्रकार, कवि कविता के माध्यम से अपनी भावनाओं और कल्पनाओं से खेला करता है। उसकी कविता भी घर-घर में पहुँचती है और लोगों को आनंदित करती है। कविता का प्रभाव देश और काल की सीमाओं से परे होता है। कविता एक देश से दूसरे देश को जोड़ती है। कविता इस विश्वव्यापी प्रभाव की आनंद वे ही उठा पाते हैं, जो बच्चों के समान पक्षपातरहित और सरल हृदय हुआ करते हैं।

प्रश्न 28. कविता की उड़ान चिड़िया की उड़ान के समान क्यों नहीं है ?

उत्तर:कविता की उड़ान चिड़िया की उड़ान की तरह नहीं है। चिड़िया सीमित दूरी तक ही उड़ सकती है किन्तु कविता पर स्थान तथा समय का कोई प्रभाव नहीं होता। प्रत्येक देश-काल में उसका रसास्वादन किया जा सकता है। चिड़िया की सीमित उड़ान से उसकी समानता नहीं हो सकती।

प्रश्न 29.फूल कविता की किस विशेषता को नहीं जानता?

उत्तर:जब तक फूल खिलता है उसकी सुगंध उसके आस-पास तक फैल जाती है। मुरझाते ही उसकी सुगंध भी नष्ट हो जाती है। कविता भी खिलती है (विकसित होती है)। कोई भी पाठक किसी भी युग में कविता का आनन्द ले सकता है। फूल यह नहीं जानता कि कविता कभी मुरझाती नहीं (पुरानी नहीं पड़ती) तथा सदैव सरस बनी रहती है।

प्रश्न 30.कविता तथा बच्चों के खेल में क्या समानता है ?

अथवा

कविता एक खेल है बच्चों के बहाने” ‘कविता के बहानेपाठ से कविता और बच्चे मानव-समाज को क्या संदेश देते हैं?

उत्तर:बच्चे खेलते समय किसी विशेष घर तक ही सीमित नहीं रहते। वे घर-घर जाते और खेलते-कूदते हैं। वे समाज में समानता तथा एकता की स्थापना करते हैं। कविता भी शब्दों का खेल है। कवि सभी वर्गों के भावों, विचारों, सुख-दुख इत्यादि का निष्पक्ष होकर अपनी कविता में चित्रण करता है। इस प्रकार बच्चे तथा कविता दोनों मानव-एकता का सन्देश देते हैं।

प्रश्न 31.‘कविता के पंख लगा उड़नेसे कवि को क्या आशय है?

उत्तर:चिड़िया उड़ने के लिए अपने पंखों का सहारा लेती है। कवि अपने मनोभावों को व्यक्त करने के लिए कल्पना की सहायता लेता है। वह कविता में अपने भावों को व्यक्त करता है। चिड़िया अपने भौतिक पंखों की सहायता से केवल सीमित दूरी तक उड़ान भर सकती है, किन्तु कवि कल्पना के पंखों के सहारे तो ब्रह्माण्ड में उड़ान भरा करता है।

प्रश्न 32.‘फूल क्या जाने’- फूल क्या नहीं जानता?

अथवा

फूल और कविता में क्या असमानता है?

उत्तर:फूल खिलता है तो उसकी सुगंध एक निश्चित समय तथा दूरी तक ही फैलती है। कविता का प्रभाव अनन्त देशकाल तक होता है। फूल की सुगंध के आनन्द की तुलना कविता के रसात्मक आनन्द से नहीं हो सकती। फूल के खिलने पर उसकी सुंदरता का आनन्द सीमित क्षेत्र के लोग ही उठा सकते हैं, किन्तु कविता के सौन्दर्य का आनन्द सारे विश्व को प्रभावित किया करता है।

प्रश्न 33.कविता के बहानेकविता में किन बहानों के माध्यम से कविता की विशेषताएँ बताई गई हैं ?

उत्तर:इस कविता में चिड़िया की उड़ान, फूल का खिलना तथा बच्चों के खेल आदि बहानों के माध्यम से कविता की विशेषताएँ बताई गई हैं। चिड़िया की उड़ान सीमित होती है लेकिन कवि की कल्पना की उड़ान की कोई सीमा नहीं होती। फूल खिलता है तो कुछ दूर तक और कुछ समय तक ही सुगन्ध फैलाता है लेकिन कविता का आनन्द सभी स्थानों और सभी युगों में व्याप्त हो जाता है। बच्चों को खेल भेदभाव से मुक्त तथा सभी को आनन्दित करने वाला होता है। इसी प्रकार कविता भी बिना किसी भेदभाव के सभी को आनन्दित करती है।

प्रश्न 34.कविता के बहानेशीर्षक कविता का प्रतिपाद्य/कथ्य/उद्देश्य क्या है ?

उत्तर:इस कविता में कविता के भविष्य पर विचार किया गया है। कवि ने चिड़िया, फूल और बच्चों के उदाहरण देकर कहा है। कि कविता की उड़ान असीम होती है। उसकी गंध कभी समाप्त नहीं होती। वह बच्चों के खेल की तरह सबको सदा आनन्ददायक होती है। अत: कविता पर कोई संकट नहीं आ सकता। कवि काव्य-प्रेमियों को कविता के सुखद भविष्य के बारे में आश्वस्त करना चाहता है।

प्रश्न 35.‘बाहर भीतर इस घर उस घरइस पंक्ति का प्रयोग कवि ने चिड़िया की उड़ान, फूल की सुगन्ध और बच्चों के खेल तीनों के साथ किया है। इन तीनों सन्दर्भो में इस पंक्ति का भाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:तीनों ही सन्दर्भो में इस पंक्ति का अर्थ थोड़ा भिन्न है। चिड़िया की उड़ान और फूलों की गंध कुछ घरों तक ही सीमित रहती है लेकिन बच्चों के खेल घर-घर तक व्याप्त होते हैं। कवि की कल्पना की उड़ान की कोई सीमा नहीं होती। एक सुन्दर कविता सारे संसार में सराही जाती है।

प्रश्न 36.कवि ने चिड़िया, फूल और बच्चों का उदाहरण देकर कविता की श्रेष्ठता दिखाई है। क्या आप ऐसे और उदाहरण दे सकते हैं? यदि हाँ, तो ऐसे दो उदाहरण दीजिए।

उत्तर:ऐसे दो उदाहरण (i) सूरज और (ii) पवन हैं। सूरज बिना भेदभाव के सब पर प्रकाश बरसाता है। पूरे संसार के प्राणी उसका लाभ उठाते हैं। इसी प्रकार पवने भी किसी एक स्थान पर सीमित नहीं रहती। वह सभी की साँसों को जीवन का वरदान बाँटती है। किन्तु कविता से मिलने वाला आनन्द आत्मिक है और सूरज तथा पवन से प्राप्त आनन्द शारीरिक है।

प्रश्न 37.‘कविता के बहानेकविता का संक्षिप्त सारांश लिखिए।

उत्तर:कविता के बहानेकुँवर नारायण के इन दिनोंनामक काव्य संग्रह से ली गई है। इस कविता के माध्यम से कवि ने काव्य प्रेमियों को आश्वस्त करना चाहा है कि भौतिकवादी विचारधारा के इस युग में भी कविता के अस्तित्व पर कोई संकट नहीं है। कवि ने चिड़िया की उड़ानतथा फूल के खिलनेसे कविता के व्यापक प्रभाव तथा उसके चिरजीवी आनंद की ओर संकेत दिया है। बच्चों के खेलद्वारा कवि संदेश देना चाहता है कि बच्चों के खेल की तरह कविता भी लोगों को परस्पर मिलाने का काम करती है। वह घरों और देशों की सीमाओं में बँध कर नहीं रहती।

प्रश्न 38.“कविता एक उड़ान ………….. चिड़िया क्या जाने?” ‘कविता के बहानेकविता के इस अंश में कवि ने क्या बताना चाहा है?

उत्तर: कवि इस काव्यांश द्वारा बताना चाहता है कि चिड़िया और कविता दोनों ही उड़ान भरती हैं किन्तु चिड़िया की उड़ान कुछ दूर तक होती है। उसकी उड़ान की सीमा है। कविता की उड़ान असीम होती है। भला कविता की घर-घर और देशान्तरों में उड़ान की तुलना चिड़िया की उड़ान से नहीं की जा सकती है। कवितारूपी पंखों को लगाकर जब कवि उंड़ता है तो उसकी कल्पना घरों और देशों की सीमा लाँधती हुई सारे ब्रह्माण्ड को नापने लगती है। वह देश (दूरी) की नहीं काल (समय) की सीमाओं में बँधकर नहीं रहती। बेचारी चिड़िया भला कविता की इस उड़ान को कैसे समझ सकती है। कवि का कहना यही है कि इस यांत्रिकता के युग में भी कविता अपनी इसी विशेषता से जीवित रहेगी और प्रासंगिक भी बनी रहेगी।

प्रश्न 39. कविता एक खेल है …………. बच्चा ही जाने।इस काव्यांश में कवि कविता को बच्चों के खेल के समान कैसे सिद्ध किया है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस काव्यांश में कवि ने कविता को बच्चों के खेल के समान बताया है। बच्चों के खेलने का अंदाज कविता के खेल की तरह ही है। बच्चे जब खेलने निकलते हैं तो वे इस पर ध्यान ही नहीं देते कि वे किस घर से किस घर में खेलने जा रहे हैं। बच्चों के मन में अपना-तेरा का भाव नहीं होता। इसी प्रकार जब कवि की कल्पना के सहारे कविता खेलने निकलती है तो वह भी बिना किसी भेद-भाव के घरों और देशों की सीमा में बँध कर नहीं रहती। कविता मुक्त भाव से सभी को अपना आनन्द लुटाया करती है। कविता किसी देश के कवि की हो वह सभी देशों में आदर और प्रेम पाया करती है।

अगर आप अपनी गलतियों से सीख लेते हैं 

तो गलतियां आपके लिए सीढ़ी है। 

*कुमार महेश*

लालसोट ,दौसा  

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CLASS-12-HINDI-RBSE-CBSE
KAVITA KE BAHANE


 

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कुमार MAHESH

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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