इंसानों में संयम का टोटा है ……
सच ! इंसानों में संयम का टोटा है .
मन इनका चंचल बड़ा
खोटा है .
कथनी और करनी में रखते
अंतर ,
बांटे हर बात में ,घात
का मंतर ,
अब इंसान बिन पैंदे का लोटा है .
सच ! इंसानों में संयम का टोटा है .
मन इनका चंचल बड़ा
खोटा है .
दीमक बन ,करे
साफ़ तिजोरी,
हो गयी अब इनकी जीभ चटोरी ,
खा-खा कर, हो
रहा मोटा
है ,
सच ! इंसानों में संयम का टोटा है .
मन इनका चंचल बड़ा
खोटा है .
दौ नावों में पैर रखने का आदी ,
करता रहता जीवन की बर्बादी .
खुद ही ने अपना गला घोटा है.
सच ! इंसानों में संयम का टोटा है .
मन इनका चंचल बड़ा
खोटा है .
कामुकता के
दल दल में सना ,
बेशरम , अधर्मी
, ,व्यभिचारी बना ,
चरित्रहीन ये ,
कच्चा इसका लंगोटा है.
सच ! इंसानों में संयम का टोटा है .
मन इनका चंचल बड़ा
खोटा है .
चढ़ा ,दुनिया
मुट्ठी में करने का भूत .
लूटना चाहे
हराम का
माल अकूत
,
जैसे मिल गया
हो , सरकारी
कोटा है.
सच ! इंसानों में संयम का टोटा है .
मन इनका चंचल बड़ा
खोटा है .
दिन रात पाप की,
गठरी ढोता,
जीवन में विष –
बीज ही
बोता ,
जाने बखूबी की,
जीवन छोटा है,
सच !इंसानों में संयम का टोटा है .
मन इनका चंचल बड़ा
खोटा है .
आदमी के
रंग देख मै हूँ बदहवाश ,
इंसानों में भी
मुझे इंसान की तलाश ,
दुनिया को देख मन मेरा कचोटा है .
सच ! इंसानों में संयम का टोटा है .
मन इनका चंचल बड़ा
खोटा है .
कुमार
महेश (२७-०३-२०२०)
(व्यथित मन का
सृजन)
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