आँख मूंद लो बस ऐतबार करो....
दर्द से चीखो चिल्लाओ,गिडगिडाओ ,
तुम्हारे दुख-दर्द का इजहार करो।
हर जख्म का इलाज जादुई शब्दों में,
आँख मूंद लो बस ऐतबार करो।
सच पर या तो हो खामोशी के पहरे,
या सच को गिरफ्तार करो।
झुंठ के तिलिस्म का मुखौटा हो शालीन,
कभी उतरे किसी का उसे फरार करो।
तुम लोगो की भी अजब ही पसंद हैं ,
सर पे बैठा लेगे ,गर बेजार करो।
पहले अंधेरा कर लो,फिर दिया जलालो,
रोशनी का ऐसा चमत्कार करो।
पर भूख बडी बेशरम होती है जनाब,
बूट और लाठियों से यूँ ना तिरस्कार करो।
हंसीन ख्वाब, तसुव्वर, खुशनुमा जिंदगी,
माँगते हैं अब, उपहार करो।
"महेश" अजीब फ़ितरत है लोगों की,
जरूरत पडे तो गधो को भी प्यार करो।
कद बहुत ऊँचा उठ जाता है शायद,
अगर इंसानियत को शर्मसार करो।
कुमार महेश 4/4/20
व्यथित मन का सृजन
0 comments:
Post a Comment