फोडते हैं लोग
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**हकीकत से नहीं वास्ता दूर तलक ,
पर लंबी-लंबी कैसे छोड़ते हैं लोग।**
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**सपने मोहब्बत में अजीब दिखाते ,
चाहत में चांद-तारे तोड़ते हैं लोग।**
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**राहे-मंजिल के हमसफर भी बेवफा,
उल्लू सीधा होते ही राहें मोड़ते हैं लोग।**
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**चापलूसी की बैसाखियो के सहारे,
बड़ी शिद्दत से उडते-दौड़ते हैं लोग।**
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**ईमान को बेचे,जमीर को गिरवी रखे,
आत्मा तक भी निचोडते हैं लोग। **
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**जानते हैं साथ कुछ नहीं जाएगा,
फिर भी दिनरात सबकुछ जोडते हैं लोग।**
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**लडखडाते पैर जिनके गुमराही में,
नींद लेना स्वप्न हुआ झिझोडते हैं लोग।**
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**अगर उनकी हां में हां नहीं मिलाई,
तो फिर देखो कैसे फोड़ते हैं लोग।**
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*व्यंग्य मेरे नमक से कडवे लगते शायद,
इसी वजह से नाक मुंह मरोडते हैं लोग।**
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कुमार महेश(06/03/2020)
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