अच्छे दिन के अरमान ?..........
चमन मे सियासी उठा-पटक के तूफान देख लो।
लोकतंत्र की हत्या,नेता का गिरता ईमान देख लो।।
मैले संस्कारों से हरी हुई ,नियत खोट से भरी हुई।
बकरा-मंडी मे बकरो से हो रहे हैं नीलाम देख लो।।
कोरोना से कुर्सी प्यारी, सत्ता के लालची मदारी।
आरोप प्रत्यारोप के खेल मे गंदी जुबान देख लो।।
जनमत को करते जलालत, देखो तो इनकी शराफत।
शर्मोहया ना शिकन चेहरे पे, चाहे-निशान देख लो।
देखा विकास का तमाशा, ,झूठे ही देते हैं दिलासा।
कालिख पर हैं पर्दा ,अच्छे दिन के अरमान देख लो।
पद और पावर की खातिर ,गठजोड करते शातिर,
बैगेरत पर हैरत ना कर ,कैसे गिर रहा इसांन देख लो।
सच पर जब जब पहरे होगें, अंजाम बहुत गहरे होगें।
मुनासिब यही "महेश" महफूज कोई जहान देख लो।।
......व्यथित मन का सृजन.......
कुमार महेश 13/7/2020
लालसोट ,राजस्थान
राजस्थान में सियासत की उठापटक पर
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