प्रेम के प्रेमालय सजाऐ..............
आओ चलो आज हम, मजहबी जहर को अमृत बनाये।
इस बार जश्ने - ईद और दिवाली सब संग - संग मनायें।।
मंदिर ,मस्जिद ,गिरजे और गुरुद्वारे बहुत बने और बनाए।
आओ अब साजिश मुक्त, इंसानी प्रेम के प्रेमालय सजाऐ।।
भ्रमित करते रहे सदा पंडित और मौलवियों के प्रवचन ।
आओ अब इन के तिलस्म से, इसांनो को मुक्त कराये।।
जाँत-पाँत के बंधन तोडे, ऊँच-नीच का भ्रम भी छोडे।
.मानवता जल रही सदियों से ,आओ ऐसी आग बुझाऐ।।
आवाम बहुत परेशान रही है ,धर्म - पुण्यों के व्यापार से।
धर्मग्रंथों की थोथी बातें छोडे ,संविधान सभी पढे- पढाऐ।।
हो केवल हम हिन्दुस्तानी , जाति -धर्म, भारतीयता हो।
सच्ची नियत से ,अपनी मातृभूमि हित अजान लगाऐ।।
(व्यथित मन का सृजन)
कुमार महेश 01/08/2020
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