TEACHING & WRITING BY MK

इस ब्लॉग पर मेरी विभिन्न विषयों पर लिखी गई कविता, कहानी, आलेख और शिक्षण सामग्री का प्रकाशन किया जाता है.

अगर निखरना है, तो बिखरना तो होगा ही If it is to be sparked, it will be scattered

If it is to be sparked, it will be scattered

                                               अगर निखरना है, तो बिखरना तो होगा ही                                                                                                              If it is to be sparked, it will be scattered

समर में घाव खाता है, उसी का मान होता है।

छिपा उस वेदना में ही अमर बलिदान होता है।

सृजन में चोट खाता है ,जो छेनी और हथोडे की ,

वहीं पाषाण मंदिर में कहीं भगवान होता है।

    एक बात सीखी है रंगों से, अगर निखरना है, तो बिखरना तो होगा ही । अगर बिखरोगे नही तो निखरोगे कैसे ?

अगर बिखरोगे नही तो सुंदर आकृति कैसी बनेगी ?

सुंदर तस्वीर कैसे बनेगी?

मुसिबतों से डरना कैसा ?

    अगर वो होगी ही नही तो जीवन बेमानी होगा ,बेरंग होगा , ठहर जायेगा एक जगह ।फिर नीचे गिरने लगेगा। नदी किनारे पडे पत्थरों की चिकनाई और गौलाई देखी है ना। कैसे आई ? वो पानी के साथ लगातार बहाव मे बहकर टकराकर,और संघर्ष को झेलकर आई।क्या हीरा कभी हीरा बन पाता।जो कभी एक कोयला था।अगर वो संघर्ष से डर गया होता ।वो असीम दाब असीम ताप यदि न झेलता तो आज भी वो कोयला ही होता ।संघर्ष ,परेशानियाँ ,कठिनाईयाँ सब हमारे व्यक्त्तिव के विकास के लिए ही होती है। इनसे डरना कैसा ?सामना करना है इनका ,फिर देखिए कौन रोक सकता है ,आपको निखरने से ?

अगर निखरना है, तो बिखरना जरूरी है।

    एक बार की बात है ,एक मूर्तिकार एक जंगल से गुजर रहा था।चलते चलते वह थक गया । और एक जगह थोडा सुस्ताने के लिए बैठ गया ।जिस पेड के नीचे वो बैठा था। उसके ठीक सामने उसे दो खुबसुरत पत्थर दिखे -काले और भूरे रंग के । वो कलाकार पत्थरों को देखकर अपने आप को रोक नहीं पाया। उसने भूरे पत्थर के पास जाकर उसे तराशना शुरू कर दिया। जैसे ही हथोडे की पहली मार पडी-तो पत्थर चिल्ला उठा। नहीं चाहिए यह असहनीय पीडा-जैसा मै हूँ ,मुझे वैसा ही रहने दीजिए।इस पर मूर्तिकार ने पत्थर से कहा-थोडा सा कष्ठ सह लो ,तुम्हें मैं तराश  कर खूबसूरत मूर्ति बना दूंगा । पत्थर ने जबाब दिया -इतना कष्ट नहीं चाहिए।नहीं बनना मुझे कोई मूर्ति । मुझे ऐसे ही रहने दो।मूर्तिकार ने उस पत्थर को वहीं छोड दिया। और काले पत्थर की तरफ चल पडा और औजारों से चोट करना शुरू कर दिया। पत्थर चुपचाप सारे कष्ट झेलता रहा ।थोडी देर बाद काले पत्थर से एक बडी सी सुन्दर मूर्ति तैयार हो गई । कलाकार वो मूर्ति वहीं छोडकर अपनी राह चल दिया। वर्षों बाद उसे फिर उसी जगंल से गुजरना पडा। वो देखकर हैरान हो गया ,की जिस तराशी  हुई मूर्ति को वो छोडकर गया था। लोगों ने उसे स्थापित कर एक मंदिर बना दिया था। और उसकी पूजा करने लगे थे। उस मूर्ति के दर्शन  के लिए लम्बी पंक्ति में लोग खडे थे।मूर्तिकार भी खडा हो गया। पास पहुँचा तो वही भूरा पत्थर मंदिर  के बाहर पडा था।और लोग उस पर नारियल फोड रहे थे। जो पत्थर उस मूर्तिकार की एक चोट बर्दाशत  नहीं कर सका ।वो आज लगातार चोटे खा रहा था। और एक पत्थर पूजा जा रहा था। सहीं समय पर सही चोटे खाने के लिए हमेशा  तैयार रहे। यकीन मानिए आपको इसके सुखद परिणाम मिलेगें। अगर समय निकल गया तो चोटे तो जिंदगी  आपको वैसे भी देगी। पर उसके परिणाम बहुत दुखद होगे। अगर जिदंगी चोटे दे तो समझिए की आप तराशे  जा रहें है।आप में निखार आ रहा है। किसी ने क्या खूब कहा है -

जो मुसकुरा रहा है ,उसे दर्द ने पाला होगा।

जो चल रहा है ,उसके पैर में छाला हेागा।

बिना संघर्ष के इंसान,चमक नहीं सकता  ,

जो जलेगा उसी दिए में उजाला होगा।

        जिन्दगी को खुबसुरत बनाने को एक ही जरिया है, और वो है - मेहनत, ख्वाबों को यदि हकीकत की जमीं पर उतारना है अगर सिफर से षिखर तक का सफर तय करना है तो एक ही सकंल्प है, जिसका कोई नहीं दूसरा विकल्प है।

यानी मेहनत, मेहनत, और सख्त मेहनत।

यकीन मानिए दूनिया का कोई भी इंसा बगैर मेहनत के अपने ख्वाबों को पूरा नहीं कर सकता।

                                                                                                                        मेहनत में ही कामयाब जिन्दगी के राज छूपे हैं।

                                                                                                                                            होकर मायूस न यूँ शाम से ढलते रहिऐ।

                                                                                                                                जिदंगी भोर है, सूरज सा निकलता रहिए।

                                                                                                                                            ठहरोगे एक पांव पर तो थक जोओगे।

                                                                                                                    धीरे धीरे ही सही मगर, लक्ष्य की ओर चलते रहिऐ।

                                                                                    कुमार   महेश   05-०३-२०२१ 

 

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कुमार MAHESH

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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