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दो दोस्त थे एक का नाम चून्नू था ,और दूसरे का नाम था मुन्नू .
चून्नूकी उम्र 15 साल थी और मुन्नू की उम्र 10 साल थी.
दोनों गहरे दोस्त थे ।
एक दिन वो दोनों खेल रहे थे और खेलते खेलते
वो
गाँव से दूर जंगल मे जा पहुंचे
लेकिन उनके साथ भूलवश ये हादसा हुआ कि जो बड़ा
दोस्त
चून्नू
था वह कुए मे गिर गया कुआ खाली था लेकिन हरि
परेशानी मे था क्योंकि उसका दोस्त मुसीबत में था
और दूर दूर
तक मदद करने वाला कोई नही था,
वो बहुत चिल्लाया और मदद की गुहार लगाई मगर
उसकी कोशिश नाकाम रही
उसके बाद उसने दिमाग लगाया और उसको एक रस्सी
और बाल्टी दिखाई दी उसने रस्सी को कुए में डाला
और चून्नू को
बोला कि वो इसमे बैठ जाए वो इसकी सहायता से
उसको बाहर निकालने की कोशिश करेगा,
अब हरि अपनी पूरी ताकत से उसको खींचने लगा बार
बार विफल हो रहा था लेकिन उसने हार नही मानी और अंततः उसने कुए से उसको बाहर निकाल
लिया ।
दोनों बहुत खुश थे जब वो गाँव मे आए
और लोगों को इस घटना के बारे में बताया तो किसी
ने भी
उनकी इस बात पर विश्वाश नही किया,
क्योंकि लोग ये मानते थे कि एक बच्चा खुद से 5
साल
बड़े
बच्चे को कैसे खींच सकता है ।
किसी को भरोसा नही हुआ,
थोड़ी देर में एक बुजुर्ग वहा आये उन्होंने कहा
कि क्या हुआ
ये बच्चे सच ही तो बोल रहे है,
फिर वो बोले कि बात ये नही की ये सच बोल रहे है
या झूठ
बात
सिर्फ इतनी सी है कि ये बच्चा ये सब कैसे कर पाया?
इसके अंदर इतनी ताकत कहा से आयी?
उन्होंने कहा क्योंकि वहाँ पर इस बच्चे को ये
कहने वाला
कोई भी
नही था कि तू इस काम को नही कर पाएगा ।
इसलिए जो ये कर रहा था इससे विचलित नही हुआ
और इसको विश्वास था कि ये कर पाएगा और इसने कर
दिखाया
अगर वहाँ कोई और होता जो इस बच्चे को जरूर
बोलता की
तू ये
नही कर पाएगा और शायद वो ना कर पाता
लेकिन उसने कर दिखाया।
बस यही मर्म है कहानी का
लोग आपको गिराएंगे नीचा दिखाएंगे,
आपको कमतर आंकेंगे,
लेकिन आपको लोगो की बातों को नजरअंदाज करना है,
क्योंकि लोग तो कहेंगे उनका काम है कहना ।
कुमार महेश
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