Vakya kya hai in hindi
वाक्य :भेद,तत्व,रूपांतरणऔर शुद्धि
वाक्य-संरचना
वाक्य का स्वरूप जब भी हमें अपने मन की बात दूसरों तक
पहुँचानी होती है या किसी से बातचीत करनी होती है तो हम वाक्यों का सहारा ही बोलते
हैं। यद्यपि वाक्य विभिन्न शब्दों (पदों) के योग से बनता है और हर शब्द का अपना
अलग अर्थ भी होता है वाक्य में आए सभी घटक परस्पर मिलकर एक पूरा विचार या संदेश
प्रकट करते हैं। वाक्य छोटा हो या बड़ा किसी-न-किसी विचार या भाव को पूर्णतः
व्यक्त करने की क्षमता रखता है। अतः
ऐसा सार्थक
शब्द-समूह, जो व्यवस्थित हो तथा पूरा आशय प्रकट कर सके, वाक्य कहलाता है।
दो या दो से अधिक शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं। अर्थात् योग्यता, आकांक्षा,
आसक्ति
से युक्त पद समूह को वाक्य कहते हैं।
'वाक्य' में निम्नलिखित बातें होती हैं
:
1. वाक्य की रचना शब्दों (पदों) के
योग से होती है।
2. वाक्य अपने में पूर्ण तथा
स्वतंत्र होता है।
3. वाक्य किसी-न-किसी भाव या विचार
को पूर्णतः प्रकट कर पाने में सक्षम होता है।
उदाहरण के लिए -यदि कोई व्यक्ति कहता है 'सफेद जूते' तो यह वाक्य नहीं कहा जा सकता
क्योंकि यहाँ किसी ऐसे विचार या संदेश का ज्ञान नहीं होता जिसे वक्ता बताना चाहता
हो।
जबकि 'मुझे सफेद जूते खरीदने हैं' एक पूर्ण वाक्य है क्योंकि यहाँ
'सफेद
जूतों के विषय में बोलने वाले का भाव स्पष्टतः प्रकट हो रहा है।
वाक्य की संरचना/ (वाक्य के अवयव) - संरचना के धरातल पर वाक्य में दो प्रमुख घटक माने जाते हैं-(1) उद्देश्य (कर्ता ) तथा (2) विधेय (क्रिया)।
वाक्य में जिसके बारे में । कुछ कहा जाए वही उस वाक्य का 'उद्देश्य' है तथा उद्देश्य के विषय में जो
कुछ कहा जाए वह 'विधेय' ।
उद्देश्य और विधेय के योग से ही वाक्य संरचना के स्तर पर पूर्ण
होता है तथा किसी भाव या विचार (संदेश) को व्यक्त कर पाता है ; जैसे
उद्देश्य विधेय
1. शीला अध्यापिका है।
2. होस्टल में रहने वाली सभी
लड़कियाँ फ़िल्म देखने जा रही हैं।
3. मजदूरों ने पेड़ काट दिए हैं।
4. हम लोगों ने माता जी को सब रुपये दे दिए
थे।
5. बच्चे मैदान में खेल रहे हैं।
ऊपर के इन उदाहरणों को देखकर वाक्य के बारे में कुछ और बातों
का भी ज्ञान होता है। वाक्य में कोई भी शब्द किसी भी रूप में न आकर व्याकरणिक
नियमों में बँधकर आता है। साथ ही हर शब्द का अपना एक क्रम होता है। कोई शब्द कर्ता
के स्थान पर आता है तो कोई कर्म के ; कोई क्रिया के तो कोई पूरक के।
फिर इन शब्दों के बीच परस्पर अन्विति होती है। वे लिंग, वचन, पुरुष आदि व्याकरणिक कोटियों के
अनुसार अपना स्वरूप निर्धारित करते हैं।
इस प्रकार वाक्य की निम्नलिखित विशेषताएँ सामने आती हैं :
• वाक्य, भाषा की ऐसी इकाई है जो किसी
भाव या विचार को व्यक्त करता है।
• वाक्य की रचना पदबंधों या
शब्दों के योग से होती है।
• वाक्य में आने वाले शब्दों के
बीच एक निश्चित क्रम होता है।
• वाक्य की रचना उद्देश्य और
विधेय के योग से होती है।
वाक्य के तत्व :- वाक्य के निम्नलिखित तत्व होतें हैं-
सार्थकता
–. वाक्य में सार्थक शब्दों का ही प्रयोग हो, तभी वाक्य
भावाभिव्यक्ति के लिए सक्षम होगा; जैसे-राम
रोटी पीता है। यहाँ ‘रोटी पीना’ सार्थकता का बोध
नहीं कराता, क्योंकि रोटी खाई जाती है। सार्थकता की दृष्टि से यह वाक्य अशुद्ध
माना जाएगा। सार्थकता की दृष्टि से सही वाक्य होगा-राम
रोटी खाता है। इस वाक्य को पढ़ते ही पाठक के मस्तिष्क में वाक्य की
सार्थकता उपलब्ध हो जाती है। कहने का आशय है कि वाक्य का यह तत्त्व वाक्य रचना की
दृष्टि से अनिवार्य है। इसके अभाव में अर्थ का अनर्थ सम्भव है।
आंकाक्षा
– “श्रोता
की जिज्ञासा”।वाक्य के एक पद को पढ़कर /सुनकर दुसरे पद को सुनने या जानने
की जो स्वाभाविक उत्कंठा जागती है ,उसे आकांक्षा कहते हैं.
जैसे –
दिन में
काम करते है I
इस वाक्य को सुनकर हम प्रश्न करते हैं. – कौन लोग दिन में
काम करतें है ? यदि हम कहे कि दिन में “सभी लोग काम करते हैं” . तो सभी कह देने से
प्रश्न का उत्तर मिल जाता है और वाक्य का अर्थ पूर्ण हो जाता है I अत: वाक्य में
सभी शब्द की आकांक्षा थी ,जिसकी पूर्ति होते ही वाक्य पूरा हो गया I
लता,सुधा
और बबिता कविता थी I
लता,सुधा
और बबिता कविता “पढ़ रही थी”/”लिख रही थी”I
योग्यता - 'योग्यता' का तात्पर्य यह है कि पदों के समूह से निकला हुआ अर्थ असंगत या असंभव न हो। जैसे, कोई कहे—'पानी में हाथ जल गया' तो यह वाक्य न होगा। वाक्य में प्रयुक्त शब्द अर्थ प्रदान करने में सहायक होता है तो समझना चाहिए की वाक्य में योग्यता विद्यमान है,
जैसे – किसान
लाठी से खेत जोतता है I
इस वाक्य में योग्यता का अभाव है I क्योंकि लाठी से खेत
जोतने का काम नहीं किया जा सकता . लाठी के स्थान पर यहाँ “हल” का प्रयोग होता तो
वाक्य की योग्यता संगत होती I
बालक पानी खाता है .
बालक पानी पीता हैं
जैसे-हिरण उड़ता है। यहाँ पर हिरण और
उड़ने की परस्पर योग्यता नहीं है, अत: यह वाक्य अशुद्ध है। यहाँ पर
उड़ता के स्थान पर चलता या दौड़ता लिखें तो वाक्य शुद्ध हो जाएगा।
आसक्ति
('सन्निधि') - 'आसक्ति' या 'सन्निधि' का मतलब है सामीप्य या निकटता।एक
पद या शब्द के उच्चारण के तुरंत बाद ही दुसरे शब्द या पद के
उच्चारण
को 'आसक्ति' या 'सन्निधि' कहते हैं.वाक्य में पदों का पास पास होना आवश्यक हैं. जैसे –
मैं...................................निबंध
..............................लिख.................................................रहा.......................................हूँ
I यह वाक्य नहीं कहा जा सकता क्योंकि दूर दूर होने होने के कारण पदों का अर्थ
ग्रहण करने में गतिरोध उत्पन्न होता हैं. यह वाक्य – “मैं निबंध लिख रहा हूँ” होना
चाहिए I
पदक्रम
–वाक्यों
में प्रयुक्त पदों या शब्दों की विधिवत स्थापना को क्रम या पदक्रम कहा जाता हैं.
जैसे – “पढ़ी
पुस्तक मैंने I”
यह वाक्य
क्रम की दृष्टी से उचित नहीं हैं,होना यह चाहियेः-
मैंने
पुस्तक पढ़ी I
वह
परिश्रम निरंतर रहता करता है. {त्रुटिपूर्ण}
वह
निरंतर परिश्रम करता रहता है. {सही}
जैसे-नाव में नदी है। इस वाक्य में
सभी शब्द सार्थक हैं, फिर भी क्रम के अभाव में वाक्य गलत
है। सही क्रम करने पर नदी में नाव है वाक्य बन जाता है, जो शुद्ध है।
अन्वय
- वाक्य अनेक पदों का समूह होता हैं अत: पदों का
लिंग,वचन,कारक ,पुरुष और काल आदि के साथ सामंजस्य बैठना आवश्यक होता है, जैसे –
“गाय घास चरते है.” यह सही नहीं है, इसके स्थान पर “गाय घास चरती हैI” सही है.
राम नौ
बजे प्रात: प्रतिदिन अपने काम पर जाता है. {त्रुटिपूर्ण}
राम
प्रतिदिन प्रात:नौ बजे अपने काम पर जाता है. {सही}
नेताजी
को एक फूल की माला पहनाई I {त्रुटिपूर्ण}
नेताजी को फूल की एक माला पहनाई
I{सही}
(Vakya
Bhed In Hindi)
वाक्यों
का वर्गीकरण
रचना के आधार पर
1. मुझे कल दिल्ली जाना है।
2. मुझे कल दिल्ली जाना है और फिर परसों वहाँ से कोलकाता पहुँचना है।
3. मुझे सूचना मिली है कि कल मुझे दिल्ली जाना है।
4. मुझे सूचना मिली है कि कल मुझे दिल्ली जाना है और फिर वहाँ से कोलकाता
पहुँचना है।
उपर्यक्त वाक्यों में वाक्य (1) एक वाक्य है। वाक्य
(2) तथा (3) दो वाक्यों से मिलकर बने हैं तथा वाक्य (4) तीन वाक्यों से।
लेकिन ये सभी एक ही वाक्य के नमूने हैं। किसी एक वाक्य में आए इस तरह के छोटे-छोटे
वाक्यों को 'उपवाक्य' कहा जाता है।
इस प्रकार एक ही वाक्य में एक से अधिक
उपवाक्य आ सकते हैं, परंतु वाक्य (1)
में तो केवल एक ही वाक्य है। इस
प्रकार के वाक्यों को सरल
वाक्य कहा जाता है। सरल वाक्य की विशेष बात
यही है कि उसमें एक ही क्रिया (विधेय) होती है।
वाक्य (2), (3) तथा (4) तीनों में चूँकि एक
से अधिक क्रिया पदबंध' आ रहे हैं, अतः इनको जटिल वाक्य या असरल वाक्य कह सकते हैं।वाक्य (2) में आए दोनों उपवाक्य और शब्द से जुड़े हैं तथा अर्थ की दृष्टि से
दोनों परस्पर स्वतंत्र हैं। कोई भी उपवाक्य किसी अन्य पर आश्रित नहीं है। ऐसे
वाक्य को संयुक्त
वाक्य कहा जाता है।
वाक्य (3) में भी दो उपवाक्य हैं पर दूसरा
उपवाक्य 'कि मुझे कल दिल्ली जाना है' अपने में अपूर्ण है। यह अपने से पहले
वाले उपवाक्य 'मुझे सूचना मिली है' पर आश्रित है। ऐसे वाक्यों को मिश्र
वाक्य कहा जाता है।
वाक्य (4) में एक उपवाक्य
स्वतंत्र है 'फिर वहाँ से कोलकाता पहुँचना है' तथा दूसरा आश्रित ‘कि कल मुझे दिल्ली
जाना है। इस तरह के उपवाक्यों से मिलकर बना एक वाक्य मिश्र-संयुक्त
वाक्य कहलाता है।
रचना के आधार पर वाक्य तीन प्रकार के
होते हैं-
(i) सरल वाक्य वे वाक्य जिनमें एक उद्देश्य
तथा एक विधेय हो। सरल या साधारण वाक्य कहलाते हैं।
जैसे-श्याम खाता है।
राधा पढ़ती है I
इस वाक्य में एक ही कर्ता (उद्देश्य)
तथा एक ही क्रिया (विधेय) है। अत: यह वाक्य सरल या साधारण वाक्य है।
(ii) मिश्र वाक्य वे वाक्य, जिनमें एक साधारण
वाक्य हो तथा उसके अधीन या आश्रित दूसरा उपवाक्य हो, मिश्र वाक्य कहलाते हैं।
जैसे-श्याम ने लिखा है, कि वह कल आ रहा है।
रेखा किरण की बड़ी बहिन है,जो रामगढ़
में रहती है I
वाक्य में श्याम ने लिखा है-प्रधान
उपवाक्य, वह कल आ रहा है
आश्रित उपवाक्य है तथा दोनों समुच्चयबोधक अव्यय ‘कि’ से जुड़े हैं, अत: यह मिश्र वाक्य
है।
(iii) संयुक्त वाक्य - वे वाक्य, जिनमें एक से अधिक
प्रधान उपवाक्य हों (चाहे वह मिश्र वाक्य हों या साधारण वाक्य) और वे संयोजक
अव्ययों द्वारा जुड़े हों, संयुक्त वाक्य कहलाते हैं।
“संयोजक अव्यव –
किन्तु,परन्तु,बल्कि,लेकिन,एवं,और,अथवा,तथा आदि”
जैसे-वह लखनऊ गया और शाल ले आया।
इस वाक्य में दोनों ही प्रधान उपवाक्य
हैं तथा और संयोजक द्वारा जुड़े हैं। अत: यह संयुक्त वाक्य है।
2. अर्थ के आधार पर अर्थ के आधार पर
वाक्य आठ प्रकार के होते हैं-
(i) कथानात्मक /विधिवाचक वाक्य वे वाक्य
जिनसे किसी बात या कार्य के होने का बोध होता है, विधिवाचक वाक्य कहलाते हैं;
जैसे-
श्याम आया।
तुम लोग जा रहे हो।
(ii) निषेधवाचक/नकारात्मक वाक्य वे वाक्य, जिनसे किसी बात या
कार्य के न होने अथवा इनकार किए जाने का बोध होता है, निषेधवाचक वाक्य
कहलाते हैं;
जैसे-
राम नहीं पढ़ता है।
मैं यह कार्य नहीं करूँगा आदि।
(iii) आज्ञावाचक/विधि वाक्य वे वाक्य, जिनसे किसी प्रकार
की आज्ञा का बोध होता है, आज्ञावाचक वाक्य कहलाते हैं;
जैसे-
श्याम पानी लाओ।
यहीं बैठकर पढ़ो आदि।
(iv) विस्मयवाचक/मनोवेगात्मक वाक्य वे
वाक्य जिनसे किसी प्रकार का विस्मय, हर्ष, दुःख, आश्चर्य आदि का बोध होता है, विस्मयवाचक वाक्य
कहलाते हैं;
जैसे-
अरे! वह उत्तीर्ण हो गया।
अहा! कितना सुन्दर दृश्य है आदि।
(v) सन्देहवाचक वाक्य वे वाक्य, जिनसे किसी प्रकार
के सन्देह या भ्रम का बोध होता है, सन्देहवाचक वाक्य कहलाते हैं;
जैसे-
वह अब जा चुका होगा।
महेश पढ़ा-लिखा है या नहीं आदि।
(vi) इच्छावाचक वाक्य वे वाक्य, जिनसे किसी प्रकार
की इच्छा या कामना का बोध होता है, इच्छावाचक वाक्य कहलाते हैं;
जैसे-
ईश्वर आपकी यात्रा सफल करे।
आप जीवन में उन्नति करें।
आपका भविष्य उज्ज्वल हो आदि।
(vii) संकेतवाचक वाक्य वे वाक्य, जिनसे किसी प्रकार
के संकेत या इशारे का बोध होता है, संकेतवाचक वाक्य कहलाते हैं;
जैसे-
जो परिश्रम करेगा वह सफल होगा।
अगर वर्षा होगी तो फसल भी अच्छी होगी
आदि।
(viii) प्रश्नवाचक वाक्य वे वाक्य, जिनसे किसी प्रश्न
के पूछे जाने का बोध होता है, प्रश्नवाचक वाक्य कहलाते हैं;
जैसे-
आपका क्या नाम है?
तुम किस कक्षा में पढ़ते हो? आदि।
उपवाक्य
जिन क्रियायुक्त पदों से आंशिक भाव
व्यक्त होता है, उन्हें उपवाक्य कहते हैं;
जैसे-
यदि वह कहता
यदि मैं पढ़ता
यद्यपि वह अस्वस्थ था आदि।
उपवाक्य के भेद
उपवाक्य के दो भेद होते हैं जो निम्न
हैं
1. प्रधान उपवाक्य
जो उपवाक्य पूरे वाक्य से पृथक् भी
लिखा जाए तथा जिसका अर्थ किसी दूसरे पर आश्रित न हो, उसे प्रधान उपवाक्य कहते हैं।
2. आश्रित उपवाक्य
आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य के
बिना पूरा अर्थ नहीं दे सकता। यह स्वतंत्र लिखा भी नहीं जा सकता; जैसे—यदि सोहन आ जाए तो
मैं उसके साथ चलूँ। यहाँ यदि सोहन आ जाए-आश्रित उपवाक्य है तथा मैं उसके साथ
चलूँ-प्रधान उपवाक्य है।
आश्रित उपवाक्यों को पहचानना अत्यन्त
सरल है। जो उपवाक्य कि, जिससे कि, ताकि, ज्यों ही, जितना, ज्यों, क्योंकि, चूँकि, यद्यपि, यदि, जब तक, जब, जहाँ तक, जहाँ, जिधर, चाहे, मानो, कितना भी आदि
शब्दों से आरम्भ होते हैं वे आश्रित उपवाक्य हैं। इसके विपरीत, जो उपवाक्य इन
शब्दों से आरम्भ नहीं होते वे प्रधान उपवाक्य हैं। आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के
होते हैं।
जिनकी पहचान निम्न प्रकार से की जा
सकती है
संज्ञा उपवाक्य संज्ञा उपवाक्य का
प्रारम्भ कि से होता है।
विशेषण उपवाक्य विशेषण उपवाक्य का
प्रारम्भ जो अथवा इसके किसी रूप (जिसे, जिसको, जिसने, जिनको आदि) से होता है।
क्रिया विशेषण उपवाक्य क्रिया-विशेषण
उपवाक्य का प्रारम्भ ‘जब’, ‘जहाँ’, ‘जैसे’ आदि से होता है।
वाक्य अशुद्धि शोधन की परिभाषा,
वाक्य अशुद्धि शोधन के प्रकार और उदाहरण
Vaakya Ashudhhi Shodhan (वाक्य अशुद्धि शोधन) - इस लेख में हम वाक्य अशुद्धि शोधन
के बारे में विस्तार से जानेंगे। वाक्य अशुद्धि शोधन किसे कहते हैं? वाक्यों में कितने प्रकार की
अशुद्धियाँ होती हैं? और उन
अशुद्धियों का शुद्ध रूप किस तरह होगा ये सब हम उदाहरणों की सहायता से जानेंगे -
वाक्य
अशुद्धि शोधन
‘वाक्य’ भाषा की
महत्त्वपूर्ण इकाई है, अत: वाक्य
को बोलते व लिखते समय उसकी शुद्धता, स्पष्टता और सार्थकता का ध्यान
रखना आवश्यक है। यदि वाक्य में किसी तरह की अशुद्धि होती है तो आपके बोले गए वाक्य
अर्थ भी बदल सकता है। सामने वाले व्यक्ति को आसानी से और सही-सही समझ आ सके उसके
लिए आवश्यक है कि व्याकरण के नियमों की दृष्टि से ‘वाक्य’ को शुद्ध हो। अत: वाक्य को
व्याकरण के नियमों के अनुसार शुद्ध करना ही ‘वाक्य अशुद्धि शोधन’ कहलाता है।
वाक्यों
में अनेक प्रकार की अशुद्धियाँ होती हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं –
1. वर्तनी
संबंधी अशुद्धि
वर्तनी
संबंधी अशुद्धि शब्द से सम्बंधित अशुद्धियाँ होती हैं। जब आप वाक्य में कोई शब्द
अशुद्ध लिख देते हैं तो वहाँ उस वाक्य में वर्तनी संबंधी अशुद्धि हो जाती है और
आपका पूरा वाक्य अशुद्ध कहलाया जाता है।
उदाहरण -
इतिहासिक /
एतिहासिक - अशुद्ध = ऐतिहासिक - शुद्ध
आशिर्वाद /
आशिरवाद - अशुद्ध = आशीर्वाद - शुद्ध
उज्वल /
उज्जवल - अशुद्ध
= उज्ज्वल - शुद्ध
कवित्री /
कवियत्री - अशुद्ध
= कवयित्री - शुद्ध
2. शब्द-अर्थ
प्रयोग की अशुद्धि
कभी-कभी
वाक्यों में सही शब्दों की जगह उनके ही सादृश लगने वाले शब्दों का प्रयोग अर्थ में
परिवर्तन का कारण बन जाता है, जिसके कारण वाक्य का सही अर्थ ही बदल जाता है और यह वाक्य में
शब्द-अर्थ प्रयोग की अशुद्धि कहलाती है।
उदाहरण -
अशुद्ध रूप
- मैं उपेक्षा करता हूँ कि तुम यह काम कर लोगे।
शुद्ध रूप
- मैं अपेक्षा करता हूँ कि तुम यह काम कर लोगे।
अशुद्ध रूप
- मैंने अपना ग्रहकार्य कर लिया है।
शुद्ध रूप
- मैंने अपना गृहकार्य कर लिया है।
अशुद्ध रूप
- तुम हमेशा बेफ़िजूल की बातें करते हो।
शुद्ध रूप
- तुम हमेशा फ़िजूल की बातें करते हो।
3. लिंग
संबंधी अशुद्धि -
कभी-कभी
वाक्यों में लिंग संबंधी गलत प्रयोग किए जाते हैं। ये वाक्य की लिंग संबंधी अशुद्धि
कहलाती हैं।
उदाहरण -
अशुद्ध रूप
- बेटी पराए घर का धन होता है।
शुद्ध रूप
- बेटी पराए घर का धन होती है।
अशुद्ध रूप
- आज तुमने नया पोशाक पहना है।
शुद्ध रूप
- आज तुमने नई पोशाक पहनी है।
अशुद्ध रूप
- मुझे तुम्हारा बातें सुनना पड़ा।
शुद्ध रूप
- मुझे तुम्हारी बातें सुननी पड़ी।
अशुद्ध रूप
- कल मैंने नया पुस्तक ख़रीदा।
शुद्ध रूप
- कल मैंने नई पुस्तक खरीदी।
4. वचन संबंधी
अशुद्धि
कभी-कभी
देखा गया है कि वाक्यों में वचन संबंधी गलत प्रयोग भी किए जाते हैं। इन्हें वाक्य
की वचन संबंधी अशुद्धि कहा जाता है।
उदाहरण -
अशुद्ध रूप
- भारत में अनेकों राज्य हैं।
शुद्ध रूप
- भारत में अनेक राज्य हैं।
अशुद्ध रूप
- प्रत्येक वृक्ष फल नहीं देते हैं।
शुद्ध रूप
- प्रत्येक वृक्ष फल नहीं देता है।
अशुद्ध रूप
- इस समय चार बजा है।
शुद्ध रूप
- इस समय चार बजे हैं।
अशुद्ध रूप
- मैं तो आपका दर्शन करने आया हूँ।
शुद्ध रूप
- मैं तो आपके दर्शन करने आया हूँ।
5. पदक्रम
संबंधी अशुद्धियाँ
वाक्य में
व्याकरण के अनुसार पदों का क्रमबद्ध होना बहुत अधिक आवश्यक है। पदों के उचित क्रम
में न होने पर उसके भाव या अर्थ में स्पष्टता नहीं रहती और इसे वाक्य की पदक्रम
संबंधी अशुद्धियाँ कहा जाता है।
उदाहरण -
अशुद्ध रूप
- जाता वह बाज़ार है।
शुद्ध रूप
- वह बाज़ार जाता है।
यद्यपि
दोनों वाक्यों में सभी शब्द समान हैं किंतु पहले वाक्य में सही पदक्रम की कमी है, जबकि दूसरा वाक्य उचित पदक्रम के
अनुसार है।
उदाहरण -
अशुद्ध रूप
- शहीदों का देश सदा आभारी रहेगा।
शुद्ध रूप
- देश शहीदों का सदा आभारी रहेगा।
अशुद्ध रूप
- गाय का ताकतवर दूध होता है।
शुद्ध रूप
- गाय का दूध ताकतवर होता है।
अशुद्ध रूप
- अपनी बात आपको मैं बताता हूँ।
शुद्ध रूप
- मैं आपको अपनी बात बताता हूँ।
अशुद्ध रूप
- ध्यानपूर्वक विद्यार्थियों को पढ़ाई करनी चाहिए।
शुद्ध रूप
- विद्यार्थियों को ध्यानपूर्वक पढ़ाई करनी चाहिए।
6. पुनरावृत्ति
की अशुद्धियाँ/पुनरुक्ति दोष
एक ही
वाक्य में जब एक ही अर्थ/भाव को प्रकट करने वाले दो शब्दों का प्रयोग कर दिया जाता
है तो वाक्य अशुद्ध हो जाता है।
उदाहरण -
अशुद्ध रूप
- वह बहुत जल्दी वापस लौट आया।
शुद्ध रूप
- वह बहुत जल्दी लौट आया।
अशुद्ध रूप
- जयपुर में कई दर्शनीय स्थल देखने योग्य हैं।
शुद्ध रूप
- जयपुर में कई दर्शनीय स्थल हैं।
अशुद्ध रूप
- कृपया आप मेरे घर आने की कृपा करें।
शुद्ध रूप
- आप मेरे घर आने की कृपा करें।
अशुद्ध रूप
- प्रधानमंत्री जनता के हितकर कल्याण के लिए कार्य कर रहे हैं।
शुद्ध रूप
- प्रधानमंत्री जनता के कल्याण के लिए कार्य कर रहे हैं।
7. विरामचिह्न संबंधी अशुद्धियाँ
कभी-कभी
वाक्य में विराम चिह्न संबंधी अशुद्धियाँ भी होती हैं। जिसके कारण वाक्य को समझने
में बहुत अधिक कठिनाई होती है। ये वाक्य की विरामचिह्न संबंधी अशुद्धियाँ कही
जाती है।
उदारहण -
अशुद्ध रूप
- गुरुदेव यह तो सरासर अन्याय है।
शुद्ध रूप
- गुरुदेव! यह तो सरासर अन्याय है।
अशुद्ध रूप
- धीरे धीरे ध्यान से चलो।
शुद्ध रूप
- धीरे-धीरे ध्यान से चलो।
अशुद्ध रूप
- वह काव्यसंग्रह जिसे मैंने लिखा है वह छप रहा है।
शुद्ध रूप
- वह काव्यसंग्रह, जिसे मैंने
लिखा है; वह छप रहा
है।
अशुद्ध रूप
- यह पुस्तक आपको कहाँ मिली।
शुद्ध रूप
- यह पुस्तक आपको कहाँ मिली?
8. संज्ञा
संबंधी अशुद्धियाँ
संज्ञा पद
के प्रयोग में प्राय: दो प्रकार की अशुद्धियाँ होती हैं -
i) अनावश्यक
संज्ञा पदों का प्रयोग
ii) अनुपयुक्त
संज्ञा पदों का प्रयोग
i) अनावश्यक
संज्ञा पदों का प्रयोग -
ऐसे संज्ञा
पद जिनकी आवश्यकता न हो पर उनका प्रयोग किया जाए तो वहाँ अनावश्यक संज्ञा पदों की
अशुद्धियाँ हो जाती हैं।
उदाहरण -
अशुद्ध
वाक्य - मैं मंगलवार के दिन व्रत रखता हूँ।
शुद्ध
वाक्य - मैं मंगलवार को व्रत रखता हूँ।
अशुद्ध
वाक्य - अब विंध्याचल पर्वत हरा-भरा हो गया।
शुद्ध
वाक्य - अब विंध्याचल हरा-भरा हो गया।
अशुद्ध
वाक्य - ‘उत्साह’नामक शीर्षक निबंध अच्छा है।
शुद्ध
वाक्य - ‘उत्साह’शीर्षक निबंध अच्छा है।
अशुद्ध
वाक्य - राजा अपनी ताकत के बल पर जीत गया।
शुद्ध
वाक्य - राजा अपने बल पर जीत गया।
अशुद्ध
वाक्य - प्रात:काल के समय घूमना चाहिए।
शुद्ध
वाक्य - प्रात:काल घूमना चाहिए।
अशुद्ध
वाक्य - समाज में अराजकता की समस्या बढ़ रही है।
शुद्ध
वाक्य - समाज में अराजकता बढ़ रही है।
ii) अनुपयुक्त
संज्ञा पदों का प्रयोग
ऐसे संज्ञा
पदों का प्रयोग जो उस वाक्य के लिए अनुपयुक्त अर्थात गलत हों उनके प्रयोग के कारण
वाक्य में अनुपयुक्त संज्ञा पदों की अशुद्धियाँ हो जाती हैं।
उदाहरण -
अशुद्ध
वाक्य - गले में गुलामी की बेड़ियाँ पड़ी रही।
शुद्ध
वाक्य - पैरो में गुलामी की बेड़ियाँ पड़ी रही।
अशुद्ध
वाक्य - दंगे में गोलियों की बाढ़ आ गई।
शुद्ध
वाक्य - दंगे में गोलियों की बौछार आ गई।
अशुद्ध
वाक्य - रेडियो की उत्पत्ति किसने की।
शुद्ध
वाक्य - रेडियो का आविष्कार किसने किया।
अशुद्ध
वाक्य - आपके प्रश्न का समाधान मेरे पास नहीं है।
शुद्ध
वाक्य - आपके प्रश्न का उत्तर मेरे पास नहीं है।
अशुद्ध
वाक्य - हमारे देश के मनुष्य मेहनती हैं।
शुद्ध
वाक्य - हमारे देश के लोग मेहनती हैं।
9. सर्वनाम
संबंधी अशुद्धियाँ
हिंदी में
कभी-कभी सर्वनामों के अशुद्ध रूप तथा अनुपयुक्त स्थान प्रयोग भी होते हैं।
उदाहरण -
अशुद्ध
वाक्य - मोहन और मोहन का पुत्र दिल्ली गए हैं।
शुद्ध
वाक्य - मोहन और उसका पुत्र दिल्ली गए हैं।
अशुद्ध
वाक्य - मेरे को कुछ याद नहीं आ रहा।
शुद्ध
वाक्य - मुझे कुछ याद नहीं आ रहा।
अशुद्ध
वाक्य - मेरे को बाज़ार जाना है।
शुद्ध
वाक्य - मुझे बाज़ार जाना है।
अशुद्ध
वाक्य - तेरे को क्या चाहिए?
शुद्ध
वाक्य - तुझे क्या चाहिए?
अशुद्ध
वाक्य - दूध में कौन गिर गया?
शुद्ध
वाक्य - दूध में क्या गिर गया?
अशुद्ध
वाक्य - तुम तो तुम्हारा काम करो।
शुद्ध
वाक्य - तुम तो अपना काम करो।
10. विशेषण
संबंधी अशुद्धियाँ
विशेषण का
प्रयोग विशेष्य (संज्ञा व सर्वनाम) के लिंग और वचन के अनुसार किया जाता है। वाक्य
में कई बार अनावश्यक, अनियमित व
अनुपयुक्त विशेषण का प्रयोग हो जाता है। जो वाक्य को अशुद्ध कर देते हैं।
उदाहरण -
अशुद्ध
वाक्य - घातक विष, सुंदर शोभा, बुरी कुवृष्टि।
शुद्ध
वाक्य - विष, शोभा, कुवृष्टि।
अशुद्ध
वाक्य - धोबिन ने अच्छी चादरें धोईं।
शुद्ध
वाक्य - धोबिन ने चादरें अच्छी धोईं।
अशुद्ध
वाक्य - यह सबसे सुन्दरतम साड़ी है।
शुद्ध
वाक्य - यह सुन्दरतम साड़ी है।
अशुद्ध
वाक्य - आज उसके गुप्त रहस्य का राज खुला।
शुद्ध
वाक्य - आज उसके रहस्य का राज खुला।
अशुद्ध
वाक्य - उनकी आजकल दयनीय दुर्दशा है।
शुद्ध
वाक्य - उनकी आजकल दयनीय हालत है।
अशुद्ध
वाक्य - वह डाल महीन है।
शुद्ध
वाक्य - वह डाल पतली है।
11. क्रिया
संबंधी अशुद्धि
वाक्य में
क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग एवं वचन के अनुसार किया जाता है अन्यथा वह वाक्य
अशुद्ध समझा जाता है। इस अशुद्धि को वाक्य की क्रिया संबंधी अशुद्धि कहा जाता
है।
उदाहरण -
अशुद्ध रूप
- राम और सीता वन को गई।
शुद्ध रूप
- राम और सीता वन को गए।
अशुद्ध रूप
- उनकी बातें सुनते-सुनते कान पक गया।
शुद्ध रूप
- उनकी बातें सुनते-सुनते कान पक गए।
अशुद्ध रूप
- मेरी बहन दिल्ली से वापस आया है।
शुद्ध रूप
- मेरी बहन दिल्ली से वापस आई है।
i) अनावश्यक
क्रिया पद का प्रयोग -
जैसे -
अशुद्ध रूप
- यहाँ अशोभनीय वातावरण उपस्थित है।
शुद्ध रूप
- यहाँ अशोभनीय वातावरण है।
अशुद्ध रूप
- अब और स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता नहीं है।
शुद्ध रूप
- अब और स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है।
ii) आवश्यक
क्रिया पद का प्रयोग न होना -
जैसे -
अशुद्ध रूप
- वह सिलाई और अंग्रेजी पढ़ती है।
शुद्ध रूप
- वह सिलाई सीखती है और अंग्रेजी पढ़ती है।
अशुद्ध रूप
- वह तो खाना और चाय पीकर सो गया।
शुद्ध रूप
- वह तो खाना खाकर और चाय पीकर सो गया।
iii) अनुपयुक्त
क्रिया पद -
जैसे -
अशुद्ध रूप
- खबर सुनकर मैं विस्मय हो गया।
शुद्ध रूप
- खबर सुनकर मैं विस्मित हो गया।
अशुद्ध रूप
- मैं माताजी को खाना डालकर/देकर आई।
शुद्ध रूप
- मैं माताजी को खाना परोसकर आई।
iv)
हिंदी में
कुछ विशेष संज्ञाओं के लिए विशेष क्रियाओं का ही प्रयोग किया जाता है -
जैसे -
अशुद्ध रूप
- दान दिया।
शुद्ध रूप
- दान किया।
अशुद्ध रूप
- प्रतीक्षा देखना।
शुद्ध रूप
- प्रतीक्षा करना।
अशुद्ध रूप
- प्रयोग होना।
शुद्ध रूप
- प्रयोग करना।
अशुद्ध रूप
- प्रश्न पूछना।
शुद्ध रूप
- प्रश्न करना।
v) स्थानीय
बोलियों के प्रयोग से भी वाक्य अशुद्ध हो जाता है -
जैसे -
अशुद्ध रूप
- वह खाना खावेगा।
शुद्ध रूप
- खाना खायेगा।
अशुद्ध रूप
- उसने जैसी करी है, मैं नहीं
कर सकता।
शुद्ध रूप
- उसने जैसा किया है, मैं नहीं
कर सकता।
12. क्रियाविशेषण
संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध
वाक्य - विद्यालय के दाएँ बड़ा-सा मैदान है।
शुद्ध
वाक्य - विद्यालय की दाईं ओर बड़ा-सा मैदान है।
अशुद्ध
वाक्य - भिखारी को थोड़ा चावल दे दो।
शुद्ध
वाक्य - भिखारी को थोड़े चावल दे दो।
अशुद्ध
वाक्य - राम दिनों-दिन मेहनत करता है।
शुद्ध
वाक्य - राम दिनों-रात मेहनत करता है।
अशुद्ध
वाक्य - जैसा बोओगे उसी तरह काटोगे।
शुद्ध
वाक्य - जैसा बोओगे वैसा काटोगे।
अशुद्ध
वाक्य - पुस्तक विद्वतापूर्ण लिखी गई है।
शुद्ध
वाक्य - पुस्तक विद्वतापूर्वक लिखी गई है।
13. कारक
संबंधी अशुद्धियाँ -
वाक्यों
में कारक संबंधी गलत प्रयोग भी किए जाते हैं, जिस कारण वाक्य अशुद्ध हो जाता
है। इन अशुद्धियों को कारक संबंधी अशुद्धियाँ कहा जाता है।
i) कर्ताकारक
संबंधी अशुद्धि -
भूतकाल में
सकर्मक क्रिया होने पर ‘ने’चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे -
अशुद्ध रूप
- मैं सारी पुस्तक पढ़ डाली।
शुद्ध रूप
- मैंने सारी पुस्तक पढ़ डाली।
ii) कर्मकारक
संबंधी अशुद्धि -
किसी वाक्य
में जब कर्म को अधिक महत्त्व दिया जाता है, तो वहाँ कर्मकारक के चिह्न ‘को’ का प्रयोग किया जाता है; अन्यथा उसका प्रयोग नहीं किया
जाता।
जैसे -
अशुद्ध रूप
- वह लड़का पीटता है।
शुद्ध रूप
- वह लड़के को पीटता है।
अशुद्ध रूप
- मैं शीतल जल को पी रहा हूँ।
शुद्ध रूप
- मैं शीतल जल पी रहा हूँ।
iii) करणकारक संबंधी
अशुद्धि -
जैसे -
अशुद्ध रूप
- वह बस पर यात्रा कर रहा है।
शुद्ध रूप
- वह बस से यात्रा कर रहा है।
iv) सम्प्रदानकारक
संबंधी अशुद्धि -
सम्प्रदान
कारक के दो चिह्न हैं ‘के लिए’और ‘को’, यदि एक के स्थान पर दूसरे का
प्रयोग हो जाता है, तो वाक्य
अशुद्ध हो जाता है।
जैसे -
अशुद्ध रूप
- पंडितजी ने भक्तों के लिए कथा सुनाई।
शुद्ध रूप
- पंडितजी ने भक्तों को कथा सुनाई।
अशुद्ध रूप
- शिष्य यज्ञ को लकड़ी लाया।
शुद्ध रूप
- शिष्य यज्ञ के लिए लकड़ी लाया।
v) अपादानकारक
संबंधी अशुद्धि
अशुद्ध रूप
- वह शहर के खिलौने लाकर बेचता है।
शुद्ध रूप
- वह शहर से खिलौने लाकर बेचता है।
अशुद्ध रूप
- लड़की झूले पर से गिर गई।
शुद्ध रूप
- लड़की झूले से गिर गई।
vi) संबंधकारक
संबंधी अशुद्धि -
अशुद्ध रूप
- बिना पैसे का किसी भी आदमी को सम्मान नहीं
मिलता।
शुद्ध रूप
- बिना पैसे के किसी भी आदमी को सम्मान नहीं मिलता।
अशुद्ध रूप
- राधा का और कृष्ण का मंदिर प्रसिद्ध है।
शुद्ध रूप
- राधाकृष्ण का मंदिर प्रसिद्ध है।
नोट – ‘राधाकृष्ण’ सामासिक पद है अतः इसके चिह्न
लुप्त हो गए हैं।
vi) अधिकरणकारक
संबंधी अशुद्धि -
अशुद्ध रूप
- आज बजट के ऊपर बहस होगी।
शुद्ध रूप
- आज बजट पर बहस होगी।
अशुद्ध रूप
- किसान ने खेत पर बीज बोया है।
शुद्ध रूप
- किसान ने खेत में बीज बोया है।
अशुद्ध रूप
- घर पर सब कुशल हैं।
शुद्ध रूप
- घर में सब कुशल हैं।
वाक्यों का रूपान्तरण
किसी वाक्य में अर्थ परिवर्तन किए
बिना उसकी संरचना में परिवर्तन की प्रक्रिया वाक्यों का रूपान्तरण कहलाती है। एक
प्रकार के वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्यों में बदलना वाक्य परिवर्तन या वाक्य
रचनान्तरण कहलाता है। वाक्य परिवर्तन की प्रक्रिया में इस बात का विशेष ध्यान रखना
चाहिए कि वाक्य का केवल प्रकार बदला जाए, उसका अर्थ या काल आदि नहीं।
वाक्य परिवर्तन करते समय ध्यान रखने
योग्य बातें
वाक्य परिवर्तन करते समय निम्नलिखित
बातें ध्यान रखनी चाहिए
केवल वाक्य रचना बदलनी चाहिए, अर्थ नहीं।
सरल वाक्यों को मिश्र या संयुक्त
वाक्य बनाते समय कुछ शब्द या सम्बन्धबोधक अव्यय अथवा योजक आदि से जोड़ना। जैसे-
क्योंकि, कि, और, इसलिए, तब आदि।
संयुक्त/मिश्र वाक्यों को सरल वाक्यों
में बदलते समय योजक शब्दों या सम्बन्धबोधक अव्ययों का लोप करना
1. सरल वाक्य से मिश्र वाक्य में
परिवर्तन
लड़के ने अपना दोष मान लिया। – (सरल वाक्य)
लड़के ने माना कि दोष उसका है। – (मिश्र वाक्य)
राम मुझसे घर आने को कहता है। – (सरल वाक्य)
राम मुझसे कहता है कि मेरे घर आओ। – (मिश्र वाक्य)
मैं तुम्हारे साथ खेलना चाहता हूँ। – (सरल वाक्य)
मैं चाहता हूँ कि तुम्हारे साथ खेलूँ।
– (मिश्र वाक्य)
आप अपनी समस्या बताएँ। – (सरल वाक्य)
आप बताएँ कि आपकी समस्या क्या है? – (मिश्र वाक्य)
मुझे पुरस्कार मिलने की आशा है। – (सरल वाक्य)
आशा है कि मुझे पुरस्कार मिलेगा। – (मिश्र वाक्य)
महेश सेना में भर्ती होने योग्य नहीं
है। – (सरल वाक्य)
महेश इस योग्य नहीं है कि सेना में
भर्ती हो सके। – (मिश्र वाक्य)
राम के आने पर मोहन जाएगा। – (सरल वाक्य)
जब राम जाएगा तब मोहन आएगा। – (मिश्र वाक्य)
मेरे बैठने की जगह कहाँ है? – (सरल वाक्य)
वह जगह कहाँ है जहाँ मैं बै? – (मिश्र वाक्य)
मैं तुम्हारे साथ व्यापार करना चाहता
हूँ। – (सरल वाक्य)
मैं चाहता हूँ कि तुम्हारे साथ
व्यापार करूँ। – (मिश्र वाक्य)
श्याम ने आगरा जाने के लिए टिकट लिया।
– (सरल वाक्य)
श्याम ने टिकट लिया ताकि वह आगरा जा
सके। – (मिश्र वाक्य)
मैंने एक घायल हिरन देखा। – (सरल वाक्य)
मैंने एक हिरण देखा जो घायल था। – (मिश्र वाक्य)
मुझे उस कर्मचारी की कर्तव्यनिष्ठा पर
सन्देह है। – (सरल वाक्य)
मुझे सन्देह है कि वह कर्मचारी
कर्तव्यनिष्ठ है। – (मिश्र वाक्य)
बुद्धिमान व्यक्ति किसी से झगड़ा नहीं
करता है। – (सरल वाक्य)
जो व्यक्ति बुद्धिमान है वह किसी से
झगड़ा नहीं करता है। – (मिश्र वाक्य)
यह किसी बहुत बुरे आदमी का काम है। – (सरल वाक्य)
वह कोई बुरा आदमी है जिसने यह काम
किया है। – (मिश्र वाक्य)
न्यायाधीश ने कैदी को हाज़िर करने का
आदेश दिया। – (सरल वाक्य)
न्यायाधीश ने आदेश दिया कि कैदी
हाज़िर किया जाए। – (मिश्र वाक्य)
2. सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य में
परिवर्तन
पैसा साध्य न होकर साधन है। – (सरल वाक्य)
पैसा साध्य नहीं है, किन्तु साधन है। – (संयुक्त वाक्य)
अपने गुणों के कारण उसका सब जगह
आदर-सत्कार होता था। – (सरल वाक्य)
उसमें गुण थे इसलिए उसका सब जगह
आदर-सत्कार होता था। – (संयुक्त वाक्य)
दोनों में से कोई काम पूरा नहीं हुआ। – (सरल वाक्य)
न एक काम पूरा हुआ न दूसरा। – (संयुक्त वाक्य)
पंगु होने के कारण वह घोड़े पर नहीं
चढ़ सकता। – (सरल वाक्य)
वह पंगु है इसलिए घोड़े पर नहीं चढ़
सकता। – (संयुक्त वाक्य)
परिश्रम करके सफलता प्राप्त करो। – (सरल वाक्य)
परिश्रम करो और सफलता प्राप्त करो। – (संयुक्त वाक्य)
रमेश दण्ड के भय से झठ बोलता रहा। – (सरल वाक्य)
रमेश को दण्ड का भय था, इसलिए वह झूठ बोलता
रहा। – (संयुक्त वाक्य)
वह खाना खाकर सो गया। – (सरल वाक्य)
उसने खाना खाया और सो गया। – (संयुक्त वाक्य)
उसने गलत काम करके अपयश कमाया। – (सरल वाक्य)
उसने गलत काम किया और अपयश कमाया। – (संयुक्त वाक्य)
3. संयुक्त वाक्य से सरल वाक्य में
परिवर्तन
सूर्योदय हुआ और कुहासा जाता रहा। – (संयुक्त वाक्य)
सूर्योदय होने पर कुहासा जाता रहा। – (सरल वाक्य)
जल्दी चलो, नहीं तो पकड़े
जाओगे। – (संयुक्त वाक्य)
जल्दी न चलने पर पकड़े जाओगे। – (सरल वाक्य)
वह धनी है पर लोग ऐसा नहीं समझते। – (संयुक्त वाक्य)
लोग उसे धनी नहीं समझते। – (सरल वाक्य)
वह अमीर है फिर भी सुखी नहीं है। – (संयुक्त वाक्य)
वह अमीर होने पर भी सुखी नहीं है। – (सरल वाक्य)
बाँस और बाँसुरी दोनों नहीं रहेंगे। – (संयुक्त वाक्य)
न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी। – (सरल वाक्य)
राजकुमार ने भाई को मार डाला और स्वयं
राजा बन गया। – (संयुक्त वाक्य)
भाई को मारकर राजकुमार राजा बन गया। – (सरल वाक्य)
4. मिश्र वाक्य से सरल वाक्य में
परिवर्तन
ज्यों ही मैं वहाँ पहुँचा त्यों ही
घण्टा बजा। – (मिश्र वाक्य)
मेरे वहाँ पहुँचते ही घण्टा बजा। – (सरल वाक्य)
यदि पानी न बरसा तो सूखा पड़ जाएगा। – (मिश्र वाक्य)
पानी न बरसने पर सूखा पड़ जाएगा। – (सरल वाक्य)
उसने कहा कि मैं निर्दोष हूँ। – (मिश्र वाक्य)
उसने अपने को निर्दोष बताया। – (सरल वाक्य)
यह निश्चित नहीं है कि वह कब आएगा? – (मिश्र वाक्य)
उसके आने का समय निश्चित नहीं है। – (सरल वाक्य)
जब तुम लौटकर आओगे तब मैं जाऊँगा। – (मिश्र वाक्य)
तुम्हारे लौटकर आने पर मैं जाऊँगा। – (सरल वाक्य)
जहाँ राम रहता है वहीं श्याम भी रहता
है। – (मिश्र वाक्य)
राम और श्याम साथ ही रहते हैं। – (सरल वाक्य)
आशा है कि वह साफ बच जाएगा। – (मिश्र वाक्य)
उसके साफ बच जाने की आशा है। – (सरल वाक्य)
5. मिश्र वाक्य से संयुक्त वाक्य में
परिवर्तन
वह उस स्कूल में पढ़ा जो उसके गाँव के
निकट था। – (मिश्र वाक्य)
वह स्कूल में पढ़ा और वह स्कूल उसके
गाँव के निकट था। – (संयुक्त वाक्य)
मुझे वह पुस्तक मिल गई है जो खो गई
थी। – (मिश्र वाक्य)
वह पुस्तक खो गई थी परन्तु मुझे मिल
गई है। – (संयुक्त वाक्य)
जैसे ही उसे तार मिला वह घर से चल पड़ा।
– (मिश्र वाक्य)
उसे तार मिला और वह तुरन्त घर से चल
पड़ा। – (संयुक्त वाक्य)
काम समाप्त हो जाए तो जा सकते हो। – (मिश्र वाक्य)
काम समाप्त करो और जाओ। – (संयुक्त वाक्य)
मुझे विश्वास है कि दोष तुम्हारा है। – (मिश्र वाक्य)
दोष तुम्हारा है और इसका मुझे विश्वास
है। – (संयुक्त वाक्य)
आश्चर्य है कि वह हार गया। – (मिश्र वाक्य)
वह हार गया परन्तु यह आश्चर्य है। – (संयुक्त वाक्य)
जैसा बोओगे वैसा काटोगे। – (मिश्र वाक्य)
जो जैसा बोएगा वैसा ही काटेगा। – (संयुक्त वाक्य)
6. संयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य में
परिवर्तन
काम पूरा कर डालो नहीं तो जुर्माना
होगा। – (संयुक्त वाक्य)
यदि काम पूरा नहीं करोगे तो जुर्माना
होगा। – (मिश्र वाक्य)
इस समय सर्दी है इसलिए कोट पहन लो। – (संयुक्त वाक्य)
क्योंकि इस समय सर्दी है, इसलिए कोट पहन लो। – (मिश्र वाक्य)
वह मरणासन्न था, इसलिए मैंने उसे
क्षमा कर दिया। – (संयुक्त वाक्य)
मैंने उसे क्षमा कर दिया, क्योंकि वह
मरणासन्न था। – (मिश्र वाक्य)
वक्त निकल जाता है पर बात याद रहती
है। – (संयुक्त वाक्य)
भले ही वक्त निकल जाता है, फिर भी बात याद
रहती है। – (मिश्र वाक्य)
जल्दी तैयार हो जाओ, नहीं तो बस चली
जाएगी। – (संयुक्त वाक्य)
यदि जल्दी तैयार नहीं होओगे तो बस चली
जाएगी। – (मिश्र वाक्य)
इसकी तलाशी लो और घड़ी मिल जाएगी। – (संयुक्त वाक्य)
यदि इसकी तलाशी लोगे तो घड़ी मिल
जाएगी। – (मिश्र वाक्य)
सुरेश या तो स्वयं आएगा या तार भेजेगा।
– (संयुक्त वाक्य)
यदि सुरेश स्वयं न आया तो तार भेजेगा।
– (मिश्र वाक्य)
7. विधानवाचक वाक्य से निषेधवाचक
वाक्य में परिवर्तन
यह प्रस्ताव सभी को मान्य है। – (विधानवाचक वाक्य)
इस प्रस्ताव के विरोधाभास में कोई
नहीं है। – (निषेधवाचक वाक्य)
तुम असफल हो जाओगे। – (विधानवाचक वाक्य)
तुम सफल नहीं हो पाओगे। – (निषेधवाचक वाक्य)
शेरशाह सूरी एक बहादुर बादशाह था। – (विधानवाचक वाक्य)
शेरशाह सूरी से बहादुर कोई बादशाह
नहीं था। – (निषेधवाचक वाक्य)
रमेश सुरेश से बड़ा है। – (विधानवाचक वाक्य)
रमेश सुरेश से छोटा नहीं है। – (निषेधवाचक वाक्य)
शेर गुफा के अन्दर रहता है। – (विधानवाचक वाक्य)
शेर गुफा के बाहर नहीं रहता है। – (निषेधवाचक वाक्य)
मुझे सन्देह हुआ कि यह पत्र आपने
लिखा। – (विधानवाचक वाक्य)
मुझे विश्वास नहीं हुआ कि यह पत्र
आपने लिखा। – (निषेधवाचक वाक्य)
मुगल शासकों में अकबर श्रेष्ठ था। – (विधानवाचक वाक्य)
मुगल शासकों में अकबर से बढ़कर कोई
नहीं था। – (निषेधवाचक वाक्य)
8. निश्चयवाचक वाक्य से प्रश्नवाचक
वाक्य में परिवर्तन
आपका भाई यहाँ नहीं है। – (निश्चयवाचक)
आपका भाई कहाँ है? (प्रश्नवाचक)
किसी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। – (निश्चयवाचक)
किस पर भरोसा किया जाए? – (प्रश्नवाचक)
गाँधीजी का नाम सबने सुन रखा है। – (निश्चयवाचक)
गाँधीजी का नाम किसने नहीं सुना? – (प्रश्नवाचक)
तुम्हारी पुस्तक मेरे पास नहीं है। – (निश्चयवाचक)
तुम्हारी पुस्तक मेरे पास कहाँ है? – (प्रश्नवाचक)
तुम किसी न किसी तरह उत्तीर्ण हो गए। – (निश्चयवाचक)
तुम कैसे उत्तीर्ण हो गए? – (प्रश्नवाचक)
अब तुम बिल्कुल स्वस्थ हो गए हो। – (निश्चयवाचक)
क्या तुम अब बिल्कुल स्वस्थ हो गए हो? – (प्रश्नवाचक)
यह एक अनुकरणीय उदाहरण है। – (निश्चयवाचक)
क्या यह अनुकरणीय उदाहरण नहीं है? – (प्रश्नवाचक)
9. विस्मयादिबोधक वाक्य से विधानवाचक
वाक्य में परिवर्तन
वाह! कितना सुन्दर नगर है! – (विस्मयादिबोधक)
बहुत ही सुन्दर नगर है! – (विधानवाचक वाक्य)
काश! मैं जवान होता। – (विस्मयादिबोधक)
मैं चाहता हूँ कि मैं जवान होता। – (विधानवाचक वाक्य)
अरे! तुम फेल हो गए। – (विस्मयादिबोधक)
मुझे तुम्हारे फेल होने से आश्चर्य हो
रहा है। – (विधानवाचक वाक्य)
ओ हो! तुम खूब आए। (विस्मयादिबोधक)
मुझे तुम्हारे आगमन से अपार खुशी है। – (विधानवाचक वाक्य)
कितना क्रूर! – (विस्मयादिबोधक)
वह अत्यन्त क्रूर है। – (विधानवाचक वाक्य)
क्या! मैं भूल कर रहा हूँ! – (विस्मयादिबोधक)
मैं तो भूल नहीं कर रहा। – (विधानवाचक वाक्य)
हाँ हाँ! सब ठीक है। – (विस्मयादिबोधक)
मैं अपनी बात का अनुमोदन करता हूँ। – (विधानवाचक वाक्य)
महेश कुमार बैरवा (लालसोट) 14-02-21
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