TEACHING & WRITING BY MK

इस ब्लॉग पर मेरी विभिन्न विषयों पर लिखी गई कविता, कहानी, आलेख और शिक्षण सामग्री का प्रकाशन किया जाता है.

Why is it necessary:- Goal

Why is Necessory Targets In Life

क्यों जरुरी हैं:- लक्ष्य

-प्रिय मित्रों ,

जीवन की त्रासदी यह नहीं है कि हम अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाये जीवन की त्रासदी  तो यह है कि हमारे  पास हमारा कोई लक्ष्य था ही नहीं।

सपने देखो, बड़े सपने देखो, क्योंकि सपने ही वो बीज है जिनमे सफलता का एक बड़ा वट वृक्ष खड़ा कर देने की ताकत होती है .

सफलता 


पर सपनों को साकार करने के लिए जरूरी है उन पर काम करने की , अपने सपनो को खुली  आँखो से देखे जाने वाले सपने बनाओ।

कैसे ?

अपना लक्ष्य तय करके।

लक्ष्य बनाना सफलता के लिए उतना ही जरूरी है, जितना जिंदा रहते के लिए सांस लेना।

अपने आप से प्रश्न करते है? हमारे लक्ष्य क्या है? सपने क्या है?क्या हम उन्हें पा सकते है? क्या हमारे लक्ष्य हमे दिखाई देते हैं? क्या सोते जागते, उठते, बैठते वे हमें महसूस होतें है ?

अगर नहीं। तो हम पानी में पडे एक सूखे पत्ते की तरह है। पानी की धारा के साथ एक सुखे पत्ते को तैरते देखा है, जहाँ प्रवाह, वहीं पत्ता । बस! ऐसे ही बिना लक्ष्य के हम बहते रहते हैं।

और अगर हमारे सपनों की कमान में लक्ष्य का तीर हैं, तो निशाना सीधा सफलता पर लगेगा।

फैसला हमारा है, हम कैसा जीवन जीना  चाहते है। हम अपने सपनो को पूरा करने में बरसों लगा देते हैं। पर  हमारे पास स्पष्ट लक्ष्य हो तो उनमें से कई हम चंद  महिनों में ही पूरे कर  जायेंगें। वरना बिना लक्ष्य  के सपने  तो बंद आँखों से देखे गए  सपनों की तरह होगे।

"कल्पना कीजिए आप गाड़ी चला रहे है, चारों ओर घना कोहरा  है आपकी गाडी बहुत कीमती है इंजन कमाल का है ..............

'बढाइए अपनी गाडी की स्पीड आप नहीं बढ़ा पायेगे क्यूंकि आपको कुछ दिखाई  नहीं देगा। क्योंकी कोहरे ने रास्ते को ढाँप जो लिया है। ऐसा ही होता है हमारा लक्ष्य  विहिन जीवन एक घने कोहरे से ढके रास्ते की तरह।

हम में से कईयों के मन में यह प्रश्न जरूर आता है की मेहनत तो सभी लोग करते है ,लेकीन सफल कुछ ही लोग क्युं होते है ?

हावर्ड यूनिवर्सिटी मे एक सर्वे हुआ, MBA GRADAUTES  से पूछा गया की क्या अपने अपने भविष्य के लिए स्पष्ट और लिखित लक्ष्य  तक किये है? और इन लक्ष्यों  को हासिल करने के लिए आपकी क्या प्लांनिंग है?

सिर्फ और सिर्फ 3% GRADAUTES के पास अपने स्पष्ट व लिखित लक्ष्य थे 13% के पास लक्ष्य तो थे लेकीन लिखित नहीं थे। बाकी 84% के पास कोई लक्ष्य था ही नही |

18 साल बाद सेम स्टूडेण्ट से शोधकर्ता फिर मिले तो उन्हें हैरान कर देने वाले नतीजे मिले-

वो 3% जिनके लक्ष्य लिखित और स्पष्ट थे - बाकी के 97% से 10 गुना ज्यादा  कमा रहे है।

और जिन 13% GRADAUTES के  लक्ष्य तो थे लेकिन लिखित नहीं थे वो बाकी के 84% से 2 गुना अधिक कमा रहे थे.

अगर हम सफल होना चाहते है तो खुद से सवाल करने होगा -

खुद से पूछना होगा - की आज से 10 वर्ष बाद हम अपने आप को कहाँ देखना चाहते है ?

हर सफल उद्योगपति, हर सफल खिलाड़ी, हर सफल राजनेता,हर सफल विद्यार्थी, हर  सफल इंसान  ये करता  है। "जीवन के छोटे-छोटे क्षेत्रों में भी हमे पता होना चाहीए - की हमे आखिर चाहिए क्या ?

हम रेस्तरां में जाते है तो हमे बताना पड़ता है की हमे खाना क्या है ?

हम कपडे खरीदने जाते है तो दुकानदार का सबसे पहला सवाल होता को किस तरह के कपडे चाहिए ? प्राइज रेंज क्या होगी ?

हम चिट्टी पोस्ट करते है तो हमे उस पर पता लिखना होता है की उसे कहाँ भेजना है ?

फिर जीवन रूपी नौका में हम बिना लक्ष्य के कैसे सवार हो सकते है ? नाव में बैठ गए ,पतवार हाथ में है , पर पता ही नहीं जाना कहाँ  है ?



सोचिये क्या होगा ऐसी  नाव में बैठे इंसान के साथ . अगर आप के पास लक्ष्य है तो वो आपको भटकने नहीं देगा .

एक राहगीर ने सड़क की तरफ इशारा करते हुए एक आदमी से पूछा- यह सड़क मुझे कंहाँ ले जायेगी ? आदमी ने राहगीर से पूछा तुम्हे जाना कंहाँ है ? राहगीर ने कहा – मुझे नहीं पता इस पर उस आदमी ने हँसते हुए प्रति उत्तर दिया –

फिर कोई भी सड़क पकड लो क्या फर्क पड़ता है .

वास्तव ! में यदि हम जानते ही  नहीं की हमे जाना कंहाँ है ? तो फिर कोई भी सड़क पकड लो ! क्या फर्क पड़ता है ? क्यूंकि हर सड़क कहीं ना कहीं तो पहुंचाएगी ही .

पर फर्क पड़ेगा बहुत बड़ा फर्क पड़ेगा , जब वो हमें वहाँ पहुंचा देगी ,जहाँ हमें कभी जाना ही नहीं था . और अफ़सोस की बात है हम में से अधिकतर लोग अपने जीवन में ऐसी ही जगह पहुंचे हुए है .

क्यूंकि हमे पता ही नहीं था की हमे जाना कहाँ है ?

अगर आपके पास लक्ष्य है तो आपको हार मानने नहीं देगें .

4 जुलाई 1952  कैथलिना चैनल की और बड़ती हुयी फ्लोरिस चैडवीक वो Englsih चैनल पहले ही पार कर चुकी थी . और उस दिन कैथलीना चैनल को तैर कर पार करने वाली पहली महिला बनने वाली थी . सारी दुनिया की निगाहें उस पर टिकी थी . चारों तरफ छाया हुआ गहरा कोहरा ,हड्डियों को गला देने वाली ठंड ,शार्क मछलियों का खतरा, इन सबके बावजूद वो लगातार आगे बढ़ रही थी . पर जब भी वो अपने चश्मे से देखती उसे सिर्फ घना कोहरा दिखता .उसने हार मान ली .

जानते हों ? जब उसने हार मानी तो  वो अपने लक्ष्य से कितनी दूर थी ? सिर्फ और सिर्फ आधे मील दूर . यह उसके लिए सदमे की बात थी , वो इसलिए नहीं हारी क्यूंकि बाधाओं ने उसकी हिम्मत छीन ली ,वो इसलिए हारी की घने कोहरे में उसे उसका लक्ष्य दिखाई नहीं दिया .

चैडवीक ने कहा अगर मैंने किनारा देखा होता तो मैं जरुर जीतती . 2 महीने बाद वो फिर वापस आई . वही मौसम ,वही हालत ,वही कोहरा ,पर इस समय उसकी निगाहें केवल उसके लक्ष्य पर थी , इस बार वह न केवल सफल रही बल्कि पुरुषों का रिकॉर्ड भी तोडा .

लक्ष्य आपको हार मानने नहीं देते .

लक्ष्य प्रबल लक्ष्य किसी इन्सान को जिन्दा तक रख सकते है .

चलिए हम क्या होना चाहते है ?

वो सुखा पत्ता जो पानी के बहाव के साथ बहता रहे याँ वो टूटी पतंग जो हवा के साथ हिचकोले खाती रही , याँ वो नाव जिसको अपनी दिशा का पता ही नहीं जो लहरों के साथ  डोलती रहें .

या वो तीर जो कमान से निकलें और सीधे उड़कर निशाने पर पहुँच जाए .



जिंदगी हमारी है फैसला हमारा है .


होकर मायूस न यूँ ,शाम से ढलते रहिये ,

जिंदगी भोर है सूरज सा निकलता रहिये ,

ठहरोगे एक पाँव पर , तो थक जाओगे ,

धीरे धीरे ही सही  मगर ,लक्ष्य की और चलते रहिये .

कुमार महेश 

लालसोट ,राजस्थान 

 


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कुमार MAHESH

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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